वो आज है नही मेरी दुनिया में
फिर भी बसती है मेरे जिया में
लगता है आज भी याद करती है
मुझे पाने की फ़रियाद करती है
शायद खुश है ,जिन्दा है
क्यूंकि उसे कुछ हुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |
मन करता है फिर से पाऊं उसे
दर्द भरी दुनिया से चुराऊं उसे
वो चली गयी पर कुछ कशिश तो है
चिराग न सही ,पर माचिस तो है
एहसास हो रहा है , उसने ख़त छुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |
वो लड़ना -झगड़ना बेमतलब की बातों का
अलग आनंद था आता तब उन रातों का
वो तेरा रूठना ,मेरा मनाना
वो छोटे से छोटे राज भी तुमको बताना
हँसना ,हँसाना और तेरा मुस्कुराना
पर अब हुआ मालूम प्यार एक जुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है ||
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"मौलिक व अप्रकाशित "
Comment
वो आज है नही मेरी दुनिया में -दुनियाँ
फिर भी बसती है मेरी जिया में -मेरे जिया
लगता है शायद याद करती है-शायद की जगह आज भी
मुझे पाने की वो फ़रियाद करती है-वो के बिना काम चल सकता है
शायद खुश है ,जिन्दा है
क्यूंकि उसे कुछ हुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |
मन करता है फिर से पाऊं उसे-पाऊँ
दर्द भरी दुनिया से चुराऊं उसे-चुराऊँ
वो चली गयी पर कुछ कशिश तो है
चिराग न सही ,पर माचिस तो है
एहसास हो रहा है , उसने ख़त छुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है |
वो लड़ना -झगड़ना बेमतलब की बातों का
अलग आनंद था आता तब उन रातों का
वो तेरा रूठना ,मेरा मनाना
वो छोटे से छोटे राज भी तुमको बताना
हसना ,हसाना और तेरा मुस्कुराना-हँसना /हँसाना
पर अब हुआ मालूम प्यार एक जुआ है
वो आज जो है, जैसी है ,पीछे मेरी दुआ है ||
कुछ सुधार अपेक्षित लगे अगर पसंद आए तो अपना सकते हैं |
आदरणीय महर्षि भाई जी प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
आपको रचना पसंद आयी लिखना सार्थक हुआ आ.वीरेंदर वीर जी |
खुबसूरत रचना आदरनीय महर्षि भाई | अच्छी लगी.
आपका हार्दिक आभार आ. गोपाल नारायण जी
aa0 maharshi jee
sundar rachna.
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