For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेलवे पुलिस (लघुकथा )

"साहब इस डिब्बे में एक आदमी अचेत पड़ा है,शायद जहरखुरानी  का शिकार है " रेलवे पुलिस का कर्मचारी बोला |

"देख अपने लिए भी कुछ छोड़ा है या सब ले गए ?- अफसर 

"सब ले गए साहब "- कर्मचारी 

"कहता हूँ ,सालों से किसी की चीज मत खाया करो ,छोड़ ये सब चल एक कप  चाय पिला "- अफसर कहते हुए बाहर निकल आते हैं |

"मौलिक व् अप्रकाशित "

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 3, 2015 at 4:30pm
अच्छी लघुकथा है आदरणीय. शुभकामनाएँ.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2015 at 10:41am

आदरणीय , लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है । आ. योगराज भाई की बात से सहमत हूँ , ज़हरखोर  का अर्थ , ज़हर खाने वाला , मे रे खयाल से ज़हरखुरानियों कहना चाहिये था , क्योंकि ज़हर खुरानी का अर्थ ज़हर खिलाने की घटना होता है ।

Comment by vandana on January 21, 2015 at 6:14am

 बढ़िया प्रयास आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 20, 2015 at 8:56pm

बहुत बढ़िया लघु कथा एक और भ्रष्टाचार की परते खोलती हुई ,बहुत बहुत बधाई महर्षि त्रिपाठी जी. 

Comment by somesh kumar on January 20, 2015 at 8:08pm

तन्त्र -तन्त्र में भ्रस्टाचार |सुंदर अभिव्यक्ति 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 7:17pm

आदरणीय योगराज सर ने सही कहा , दरअसल "जहरखुरानी" सही शब्द है ..और ये पूरा गिरोह है ! सादर  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 20, 2015 at 7:05pm

आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में ज़हरखोर शब्द सही नहीं है भाई महर्षि त्रिपाठी जी। ज़हरखोर का अर्थ होता है ज़हर खाने वाले।

Comment by kanta roy on January 20, 2015 at 7:02pm
आ.महर्षि जी , आपने आज की संवेदन विहीन पुलिस तंत्र का बहुत खूब चित्रण किया है । आभार
Comment by maharshi tripathi on January 20, 2015 at 4:42pm

आ. बागी जी ,,मुझे लगा कि शीर्षक सही पर आपकी बात सही है ,,,,मार्गदर्शन हेतु शुक्रिया |

आगे से ध्यान रखूँगा | बधाई हेतु शुक्रिया |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2015 at 3:45pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, आपने बिलकुल सही सुझाव दिया है, मुझे भी जो जो बातें खटक रहीं थी वो सब आपने दूर कर दिया, एक बात और मैं कहना चाहूँगा .....शीर्षक सही नहीं है इसे "शिकार अपना अपना" या केवल "शिकार" करना सही होगा.

इस लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई प्रिय महर्षि जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service