आओ होली मिलन कर लें
जला बुराईयों को
अच्छाईयों को दिल में भर लें
मगर देखो तुम
होली की हुड़दंग में
रंग मुहब्बत का
ना इस तरहां लगाया करो
खेलो होली रंगों से
मगर दिल तक
ना आया करो
भांग का नशा है
थोड़ा संभल जाया करो
होली तो भूल जाओगे
अगले दिन
मगर दिल पे लगे रंगों को
जन्म भर ना भुला पाओगे
और हमें यूँ हीं ताउम्र
बे-वजह तड़पाओगे !!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी प्रसंशा के लिये धन्यवाद ...सादर
आदरणीय Hari Prakash Dubey जी धन्यवाद ...सादर
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आभार प्रोत्साहन के लिये ...सादर
आदरणीय मोहन भाई , अच्छी रचना हुई है , बधाइयाँ ।
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय मोहन सेठी जी , बधाई ! सादर
सुंदर सार्थक रचना, आदरणीय मोहन जी. बधाई आपको
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