For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पल पल मुझ से रूठा है
हर पल यूँ तो झूठा है
सच और झूठ का ताना बाना
जीवन का रूप अनूठा है
इक पल में वो अपने दीखे
दो पल में कई सपने दीखे
कुछ पल में सब बिखर गये
यूँ साथ हमारा छूटा है
क्या पल पल मुझसे रूठा है
या जग सारा ये झूठा है !

मैं दीया हूँ तू बाती है
दुनिया क्यूँ तुझे जलाती है
मुझ पे भी कालिख आती है
प्यार के झोंके जब
आग बुझाने आते हैं
बेदर्द नहीं सह पाते हैं 
हाथ बढ़ा ढक लेते हैं
आग को और भड़काते हैं
क्या जग सारा ये झूठा है ?
या ... पल पल मुझसे रूठा है !!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 18, 2015 at 5:40am

आदरणीय मोहन सेठीजी, आपके उत्साह और आपकी संलग्नता के प्रति सादर भाव हैं. रचना के लिए शुभकामनाएँ ..

सतत प्रयासरत रहें, आदरणीय.
शुभेच्छाएँ

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:38am

आदरणीय  Shyam Mathpal जी प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद ...आभार 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:37am

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी पसन्दगी के लिये आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:36am

आदरणीय  maharshi tripathi जी आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:35am

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका ..सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:34am

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आभार ...सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 16, 2015 at 7:53pm

आ० मोहन सेठी जी

सुन्दर प्रयास  . सादर .

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 7:28pm

आदरणीय मोहन सेठी जी, सुन्दर प्रस्तुति,

कुछ पल में सब बिखर गये

यूँ साथ हमारा छूटा है

क्या पल पल मुझसे रूठा है

या जग सारा ये झूठा है ! ,सुन्दर रचना ,बधाई प्रेषित ! सादर

Comment by maharshi tripathi on March 16, 2015 at 6:12pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति आ.Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 11:35am
मैं दिया हूँ तू बाती है
दुनिया क्यूँ तुझे जलाती है
मुझ पे भी कालिख आती है
बहुत सुन्दर , आदरणीय मोहन सेठी जी , बधाई, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service