For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अँधेरा डरावना क्यों होता है , अब उसे पता चल गया था | दिन के उजाले में शरीफ दिखने वाला इंसान , अँधेरे में एक घिनौने शख़्श में तब्दील हो जाता था | कई महीने हो गए थे बर्दाश्त करते हुए | पति से बताने की कोशिश भी की थी लेकिन वो तो अपने बड़े भाई के खिलाफ सुनने को भी तैयार नहीं था | कई बार उसने सोचा कि सासू से बता दे लेकिन उसे पता था कि उसकी बात कोई नहीं सुनेगा |
चार साल पहले आई थी वो शादी करके इस घर में | जेठानी बहुत सीधी और समझदार थी पर घर में सिर्फ जेठ का ही हुक्म चलता था | उनके हर निर्णय में पति भी बस हाँ में हाँ मिलाता था ,बैठना तो उनकी दुकान में ही था | फिर साल भर पहले एक बीमारी में जिठानी चल बसी और ६ महीने बीतते बीतते ही घर का माहौल बदल गया |
फिर अँधेरा छाने लगा था , होलिका जलाने की तैयारी हो रही थी | ढोल बजने लगा और बाहर से फगुआ गाने की आवाज़ आने लगी | पति कुछ सामान लाने दुकान गया हुआ था | इतने में पीछे से एक हाँथ उसकी पीठ पर रेंगने लगा | वो जल्दी से किचन की तरफ भागी , पीछे पीछे वो हाँथ भी आ गया | उसने तुरंत एक निर्णय लिया और किचन का दरवाजा झटके से बंद कर दिया | जब तक जेठ कुछ समझे , केरोसिन का गैलन खाली हो गया | जेठ लपटों में बुरी तरह घिर गया लेकिन आग से वो भी नहीं बच पायी |
बेहोशी अब उसे अपने आगोश में लेने लगी , फगुए का स्वर जोर पकड़ चुका था और जेठ की चीखें उसमे दब के रह गयी | इस सबसे अलग बाहर एक बार फिर होलिका दहन की तैयारी पूरी हो चुकी थी |

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on March 9, 2015 at 10:19pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी |

Comment by Shubhranshu Pandey on March 9, 2015 at 9:23pm

आदरणीय विनय जी सुन्दर कथा.

सादर. 

Comment by विनय कुमार on March 9, 2015 at 8:50pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी ..

Comment by विनय कुमार on March 9, 2015 at 8:50pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी ..

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 9, 2015 at 6:59pm

क्या बात है! असली होलिका दहन तो आपने कर दिया! बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना पर आ० भाई विनय जी

Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 6:33pm

अच्छी लघुकथा पर बधाई आ.विनयकुमार जी |

Comment by विनय कुमार on March 8, 2015 at 12:24pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी..

Comment by विनय कुमार on March 8, 2015 at 12:23pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी ..

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:07pm

आदरणीय विनय जी, जीवन का एक और कड़वा पक्ष दर्शाती मार्मिक कथा , बधाई आपको इस प्रस्तुति पर ! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:47am

भावपूर्ण व् मार्मिक लघुकथा, आदरणीय विनय जी. बहुत बढ़िया चित्रं उकेरा आपने रचना के माध्यम से. बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service