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दुनिया हँसेगी 
ये कैसा भय है
मात्र इस भय से
तुम उस रिश्ते पर
पूर्ण विराम लगाना चाहते हो
जिसका जन्म हुआ है
पावन भावनाओं के गर्भ से
क्या हँसी बाँटना पाप है 
नहीं ! 
तो फिर दुनिया के हँसने से
क्या परहेज है तुम्हें
हँसने से 
ईश्वर प्रसन्न होता है
आत्मा प्रसन्न होती है
अगर तुम्हारे और मेरे मिलन से
दुनिया हँसती है 
तो इससे भली बात क्या होगी 
तुम्हारे और मेरे लिये
आओ हम मिल जाते हैं 
हमेशा के लिये
और दुनिया को हँसा देते हैं
हमेशा के लिये 

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 580

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Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 5:51pm

आओ हम मिल जाते हैं 
हमेशा के लिये
और दुनिया को हँसा देते हैं
हमेशा के लिये ,,,,,,,,,,,सुन्दर भाव आ.कटारा जी ,,बधाई प्रेषित है |

Comment by Shyam Mathpal on March 9, 2015 at 4:38pm

Aadarniya Katara ji,

Sundar Rachna ke liye badhai. Agar hanshi dil se likle aur asli ho to baat hi kya hai. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 9, 2015 at 1:08pm

कटारा जी

आपने एक नयी सोच को शब्द दिए i सुन्दर i सादर i

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 8:53am

आदरणीय pratibha tripathi जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 8, 2015 at 7:27pm

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आभार

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 8, 2015 at 5:50pm

वाह आ० कटारा जी! क्या ख़ूब कही!

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