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आदरणीय समर कबीर साहब,प्रत्युत्तर में हुए विलम्ब के लिए क्षमा.
आपकी संवेदनशीलता का पूरा सम्मान करते हुए मैं आपकी इस ग़ज़ल को पढ़ गया. फिर इस ग़ज़ल पर आये सभी कोमेण्ट देखे. जैसा कि मैंने अपने पहले कोमेण्ट में ही कहा है कि मैं बहर के अरकान पर पहले ही इशारा कर चुका हूँ. तो फिर बार-बार दुहराने की आवश्यकता नहीं थी.
भाईजी, हमसभी कोई उस्ताद आदि नहीं हैं. इस मंच पर शायद ही कोई हो जिसे हम प्रचलित मानकों और जानकारियों के लिहाज से उस्ताद के तौर स्वीकार कर सकें. न कोई इस सम्बोधन को स्वीकारेगा. लेकिन अभ्यास करने के क्रम में सभी सीखते हुए विधान के तौर पर समृद्ध होते गये हैं. और, सीखी हुई जानकारियों को साझा करते रहते हैं. इस तरह इस मंच पर ’सीखने-सिखाने’ का क्रम चलता रहता है. यह लगातार ’सीखते रहना’ ही हमारे जैसों की पूँजी है.
भाई वीनसजी के कोमेण्ट में जो तार्किकता है वह किसी के पास अनायास नहीं आ जाती. बल्कि उसे अर्जित करनी होती है. वीनस भाई ने पिछले चार-पाँच वर्षों में जिस तरह से अरुज़ और ज़िहाफ़ पर मेहनत की है वह विरले देखने को मिलता है. अतः हम उनकी उम्र कत्तई न देखें.
अब उक्त मिसरे की बात जिसमें शक्ति शब्द आया है.
यह विन्दु मानक की अक्षरी (वर्तनी) और व्यवहार की अक्षरी के बीच फँसा हुआ विन्दु है. आपने ही नहीं हमने भी मोती की तुकान्तता में ज्योति को देखा है. उसी तर्ज़ पर शक्ति का भी प्रयोग होता है. ऐसा अकसर ज्योति या शक्ति जैसे शब्दों के आंचलिक अथवा प्रचलित उच्चारणों के अनुसार अक्षरी प्रयोग में लाने के कारण होता है.
महाराष्ट्र में शक्ति की अक्षरी (वर्तनी) शक्ती होती है. ज्योति को पूरे होशोहवास में ज्योती लिखते हैं. मराठी की लिपि देवनागरी ही है जो हिन्दी की है. अतः मराठी लिखने और जानने वाले हिन्दी भाषा के शब्दों को उसी हिसाब से प्रयोग कर लेते हैं. जैसा कि ब्राह्मण शब्द उर्दू में बिरहमन हो जाता है. या उर्दू का शह्र या फ़स्ल आदि हिन्दी में क्रमशः शहर या फ़सल हो जाता है. यही ज्योती या शक्ती शब्द फिर उर्दू या कई बार हिन्दी में इसी अक्षरी के साथ प्रयुक्त होने लगते हैं.
फ़िल्मी गीतों में अमूमन शक्ती का प्रयोग हो जाता है. मुझे लगता है आप उसी का उद्धरण दे रहे हैं कि शक्ति चार हर्फ़ी है अतः दो गुरुओं का वज़न होगा. जबकि शुद्ध शब्द वही है जिसका हवाला वीनस भाई ने दिया है.
एक बात और, आदरणीय, आप अपनी बातें, अपने विन्दु खुल कर कहें. हम चाहते हैं कि बातें खुल कर हों. लेकिन कोई चर्चा मुर्गे की टांग के हश्र को प्राप्त न हो जाये. सबको अपनी बातें कहने का अधिकार है. अतः आप फिर मैं तवील कोमेण्ट न करूँगा न कहें. आपसे सुनना हमें कई तथ्य से परिचित करायेगा.
विश्वास है, मैं अपनी बातें कह पाया.
सादर
अच्छी ग़ज़ल हुई है जनाब समर साहब, दाद कुबूल करें
आपके रुख़ को देख कर हैरानी हुई और सख्त अफ़सोस हुआ था इसीलिए शायद मेरे बयान में कुछ तल्खी आ गयी थी ...
इस मंच की परिपाटी आपस में सीखने सिखाने की है और माहौल को समरस बनाए रखने के लिए इस मंच के कर्ता-धर्ता जी जान से जुटे रहते हैं इसलिए अगर मुआमला एकतरफ़ा हो जाता है तो संवाद मुझे विचलित करते हैं ...
आप जानकार हैं वरिष्ठ हैं आपसे इस मंच को उम्मीदें हैं
मैं दुआ करता हूँ कि हम सब इस मंच की गरिमा को बनाए रखें
आमीन
आदरणीय समर कबीर साहेब, मुझे किसी बात का कोई मलाल नहीं है। आपकी आँखों के बारे में मुझे कोई ज्ञान नहीं था इसलिए मुआफ़ी चाहता हूँ। यहाँ पे सब अपने ज्ञान पर ही बात करते है. कोई हवा में पत्थर नहीं उछालता। मेरी जहाँ तक बात है वह पहले कमेंट में साफ़ लिखा है हालांकि आपने तमाम अशआर पेश किये जिनसे थोड़ी तकलीफ तो हुई लेकिन मुझे इस बात का ग़िला नहीं है। मैं कभी बग़ैर प्रमाण के बात ही नहीं करता , जहाँ मुझे नहीं आता मैं नहीं बोल देता हूँ कभी भी मैं ग़लत राय नहीं देता। आप की ग़ज़ल बहुत ही खूबसूरत है इसलिए मुझे ये एक शेर खटका तो मैंने कह दिया। बाकी आप समझदार हैं। शुक्रिया।
आदरणीय समर कबीरजी, मै आपके इस ’बहर’ के वज़न और अरकान पर आपको पहले भी अग़ाह कर चुका हूँ (आपकी ही किसी औरप्रस्तुति पर). लेकिन आपने उसे हल्के में सुन कर निकाल दिया था. ज़ाहिर है, इस मंच के हमसभी अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त लोग हैं. फिर भी, आपसी समझ से सीखने-सिखाने के तौर पर कोशिशें करते हैं. अब हर विन्दु पर उचित बहस हो पाये, ऐसा हमेशा नहीं हो पाता. उस टिप्पणी के बाद हम भी व्यस्त हो गये.
अभी निर्मल भाई की टिप्पणियों के हवाले से और भाई वीनस केसरी की टिप्पणी के हवाले से कई बातें साझा हुई हैं. विश्वास है, आप ध्यान देंगे. आपसे बहुत कुछ सीखना है, आदरणीय. लेकिन अव्वल आप इस मंच की परिपाटी को समझें और इज़्ज़त दें.
सादर
जनाब निर्मल नदीम जी,आदाब,मेरी किसी बात से अगर आप के दिल को ठेस पहुँची हो तो मैं आपसे मुआफ़ी चाहता हूँ,आपको शायद यह बात मालूम नहीं (मंच को मालूम है ) कि मैं आँखो से माज़ूर हूँ, अगर आप का दिल साफ़ हो गया हो तो मुझे ज़रूर बताऐं | शुक्रिया!
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