For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंचल नदी

बाँध के आगे

फिर से हार गई

बोला बाँध

यहाँ चलना है

मन को मार, गई

 

टेढ़े चाल चलन के

उस पर थे

इल्ज़ाम लगे

उसकी गति में

थी जो बिजली

उसके दाम लगे

 

पत्थर के आगे

मिन्नत सब

हो बेकार गई

 

टूटी लहरें

छूटी कल कल

झील हरी निकली

शांत सतह पर

लेकिन भीतर

पर्तों में बदली

 

सदा स्वस्थ

रहने वाली

होकर बीमार गई

 

अपनी राहें

ख़ुद चुनती थी

बँधने से पहले

अब तो सबकुछ

पूछ रही वो

रुक जाए, बह ले

 

आजीवन वो

उसी राह से

हो लाचार, गई

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 12, 2015 at 1:00pm

बहुत बहुत धन्यवाद, आ. जवाहर लाल जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 10, 2015 at 7:44pm

बेहतरीन भाव के साथ स्त्री की तुलना नदी से कर के आपने बहुत कुछ कह दिया है नारी की विडम्बना, अबला जीवन हाय .....

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 10, 2015 at 5:47pm
बहुत बहुत धन्यवाद आशुतोष मिश्र जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 10, 2015 at 5:44pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. महर्षि त्रिपाठी जी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 3:54pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी इस शानदार नव गीत के लिए हार्दिक बधाई सादर 

Comment by maharshi tripathi on April 9, 2015 at 5:55pm

नारी को नदी के रूप में लाकर ,,उसकी विवशता को क्या खूब उजागर किय है ,,,बहुत बहुत बधाई आ. धर्मेन्द्र कुमार सिंह  जी |

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 9, 2015 at 12:30pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. गिरिराज जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 9, 2015 at 12:29pm
बहुत बहुत धन्यवाद आ. राजेश कुमारी जी।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 9, 2015 at 12:29pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. मीना जी
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 9, 2015 at 12:28pm
बहुत बहुत शुक्रिया आ. निधि अग्रवाल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service