समाचार - पत्र
प्रात:
नित्य क्रिया से निव्रुत्ति होकर
चींखती- सुप्रभात....!
आँंगन में फड़फड़ा कर गिरता
समाचार-पत्र
सुबुकता, कराहता, आहें भरता
दुर्भिक्षों सा
कातर दृष्टि में अपेक्षा के स्वर
आशा, सहयोग, सद्भावना...
किन्तु, सर्वथा.....अर्थ हीन
उपेक्षा का भाव...
सुरसा सा आकार लेता.
घायलों का अधिक रक्त स्राव
प्राण तक छीन लेती
क्षण भर की देरी
मंजिल के पास ही -
चौराहों की लाल बत्ती विवश करती...!
सोंचो,
साथ क्या जाएगा ?
दुर्घटना से देर भली...
बूढ़ी आँंखों का मोतिया बिन्द
ऐनक को साफ करता
झुकी कमर कुछ और झुक कर सॅवारना चाहती,
भविष्य..!
सहारा पाकर समाचार-पत्र उठकर
करता, दैनिक जागरण
फैलता, अमर उजाला
अवाक है- नव भारत
हिन्दुस्तान विश्व दौड़ से बाहर
देश में दंगा, व्यभिचार,
...लूट- हत्या का उपचार
कन्या - धन, किसान का गम,
सरकारी ॠण - बेरोजगारी
घोटाले'- घूसखोरी
विधान सभा - संसद के हंगामों में अन्धा कानून...
तौलता स्वयं का अ-िस्थत्व....... भार हीन
सब दिखता है-
द्विपट संगणक [लैपटाप] में
बिलकुल साफ-साफ
मोतिया बिन्द आँंखों से भी।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 गोपालसरजी, जान भाईजी, कबीर भाई जी आप सभी के लिये हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ. सादर
सुन्दर रचना पर बधाई आ० केवल जी!
सहारा पाकर समाचार-पत्र उठकर
करता, दैनिक जागरण
फैलता, अमर उजाला
अवाक है- नव भारत
हिन्दुस्तान विश्व दौड़ से बाहर---=-क्या बात है केवल भाई . अति सुन्दर .
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