२१२२/१२१२/२२ (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
.
ज़िन्दगी हाल का सफ़र न हुई
जैसे इक रात की सहर न हुई.
.
तेरी जानिब मैं देखता ही रहा
मेरी जानिब तेरी नज़र न हुई.
.
फ़ायदा क्या हुआ ग़ज़ल होकर
तर्जुमानी तेरी अगर न हुई.
.
पहले पहले हया का पर्दा रहा
फिर ज़रा भी अगर मगर न हुई .
.
दिल की मिट्टी पे पड़ गयी मिट्टी
याद तेरी इधर उधर न हुई.
.
ख़ुद को भूला तुझे भुलाने में
कोई तरकीब कारगर न हुई.
.
‘नूर’ बिखरा था याद है मुझको
जिस्म का क्या हुआ ख़बर न हुई.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित
Comment
शुक्रिया आ. लक्ष्मण जी
शुक्रिया आ. गिरिराज जी
शुक्रिया डॉ. आशुतोष जी
शुक्रिया आ. धर्मेन्द्र जी
शुक्रिया आ. जितेन्द्र जी
आ0 भाई नीलेश जी बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
‘नूर’ बिखरा था याद है मुझको
जिस्म का क्या हुआ ख़बर न हुई. -- जानदार मक्ता , और गज़ल के लिये दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
पहले पहले हया का पर्दा रहा
फिर ज़रा भी अगर मगर न हुई...बेहतरीन
नूर’ बिखरा था याद है मुझको
जिस्म का क्या हुआ ख़बर न हुई. ..बहुत ही शानदार
आदरणीय नूर जी एक और शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर
.
बहुत खूब आदरणीय नूर साहब। इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल फ़रमाइये।
पहले पहले हया का पर्दा रहा
फिर ज़रा भी अगर मगर न हुई .
.
दिल की मिट्टी पे पड़ गयी मिट्टी
याद तेरी इधर उधर न हुई...........जिन्दावाद अशआर. दिली बधाई आपको आदरणीय निलेश जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online