"माँ, इस एफ.डी.आर. में भी नॉमिनी मुझे ही रखना, भैया सम्भाल नहीं सकता|"
"बेटे, मैं बराबर बांटना चाहती हूँ| उसको देख, तेरे पिताजी के देहांत के बाद उसने खुदके हक की सरकारी नौकरी तुझे दे दी और खुद प्राइवेट नौकरी में धक्के खा रहा है|"
"यही बात तो उसको बेवकूफ साबित करती है|"
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
देर तक रोके रखती है यह लघुकथा, आज के समय में Cunning और clever का अंतर मिटता जा रहा है, अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीय चंद्रेश जी बधाई स्वीकार करें.
बहुत खूब! आदरणीय चंद्रेश जी. सुंदर विषय, सच यही है रिश्तों में दूर की सोचने या गहरापन रखने वाला सदा ही बेवकूफ कहलाता है. लघुकथा पर बधाई स्वीकारें
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