हाथी के नेतृत्व में सभी जानवरों ने शाकाहार संघ बनाया। सबसे पहले लोमड़ी ने शाकाहार की कसम खायी और फिर उसने मांसाहारियों के सामने एक प्रदर्शन करने का सुझाव दिया, जिसे तुरंत ही मान लिया गया। लोमड़ी ने दस-दस जानवरों का समूह बना कर उन्हें एक क्रम में खड़ा किया। सबसे पहले दस हाथी, फिर भालू, बन्दर, बारहसिंघा, हिरण फिर खरगोशों का समूह और सबसे अंत में वो स्वयं थी। बड़े-बड़े पोस्टर लेकर जुलुस ने शाकाहार के पक्ष में नारे लगाते हुए जंगल के राजा शेर की मांद के अंदर तक पूरा चक्कर लगाया जैसे ही लोमड़ी और शेर की नजरे आपस में टकराई तो दोनों के चेहरों पर कुटिल मुस्कान थी।
सारा जुलुस जोश-खरोश से पुनः अपने गंतव्य पर पहुँचा। वहां देखा कि दस खरगोश और दो हिरण कम हैं।
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय हरी प्रकाश जी दुबे सर, आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी सर, आदर डॉ. विजय शंकर जी सर आप सभी का हृदय से आभार, इस हौसला अफजाई का !!
सुन्दर लघुकथा आदरणीय चन्द्रेश जी , हार्दिक बधाई !
सुन्दर कथा पर आपको बधाई!
भाई जितेन्द्र जी, हार्दिक आभार आपका !!
बहुत सुंदर लघुकथा साझा की आपने, आदरणीय चंद्रेश जी. हार्दिक बधाई
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सर, आपको अच्छी लगी यही रचना की सफलता है...हार्दिक आभार आपका !
आदरणीय चन्द्रेश जी सुन्दर और सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई.
रचना को पसंद करने के लिये हृदय से आभार आ० डॉ. गोपाल नारायण जी सर, आ० लक्ष्मण रामानुज जी सर, आ० श्याम नारायण जी वर्मा सर|
आ० चंद्रेश जी
बहुत सुन्दर कथा . वाह .
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