For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिन्दगी के गीत गाता आदमी रो जायेगा

२१२२    २१२२    २१२२   २१२

जिन्दगी के गीत गाता आदमी रो जायेगा

जिस घड़ी पत्थर का ये दिल मोम सा हो जायेगा

 

भूख से बेहाल बच्चा जो न सोया अब तलक

माँ अगर लोरी सुना दे भूखा ही सो जायेगा

 

आज तक मंदिर न जाकर कर दिया जो पाप है

माँ की सेवा से मिला आशीष वो धो जायेगा

 

मुतमइन था देख कर मैले में इंसानों की भीड़
तब न सोचा था,यहाँ बच्चा मेरा खो जाएगा

 

मानती जिस को थी दुनिया इक मसीहा आज तक

बीज नफरत के नहीं सोचा था यूं बो जायेगा

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 26, 2015 at 10:04pm

आ० आशुतोष सर जी,सुन्दर गजल पर हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 9:49am

आदरणीय डॉ आशुतोष जी ग़ज़ल पर आपका प्रयास सराहनीय है बधाई स्वीकार करें । ग़ज़ल को थोड़ा समय दिया करें तो और भी ज़्यादा निखार आ जायेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2015 at 11:37pm

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल हुई है , बधाई आपको ! आ. समर भाई की सलाह उचित है , खयाल कीजियेगा ॥

Comment by Samar kabeer on April 23, 2015 at 4:26pm
जनाब डा.आशुतोष मिश्रा जी,आदाब,

"जब गए थे मेले में हम सब लगे इंसान से
तब न सोचा था कि बच्चा यूं मेरा खो जायेगा"

मेरा मशविरा ये है कि इस शैर को इस तरह लिखें तो आपका ख़याल भी पूरी तरह इसमें आ जाएगा :-

"मुतमइन था देख कर मैले में इंसानों की भीड़
तब न सोचा था,यहाँ बच्चा मेरा खो जाएगा"
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2015 at 2:46pm

आदरणीय डॉ विजय सर ..आप सबकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रियाओं से ही नया लिखने का हौसला मिलता है सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2015 at 2:44pm

आदरणीय बागी जी ..रचना पर आपके मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद . आपके प्रतिक्रिया पर चिंतन किया तो लगा या तो मैं अपनी सोच को सही ढंग से रख नहीं सका ..या फिर मेरी सोच ही गलत थी ..मैं इस पर ज्यादा सोच नहीं पा रहा हूँ ..आपके मार्गदर्शन से मैं शायद सही दिशा में सोच पाऊँ ..सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 23, 2015 at 2:19pm

अ० आशुतोष जी

आपकी अच्छी गजलें पढ़ी हैं  पर इसमें आपने समय कम दिया है . सादर .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2015 at 2:12pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..आपके मशविरे पर अमल अवश्य करूंगा ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2015 at 2:11pm

आदरणीय श्याम नारायण जी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 23, 2015 at 2:10pm

आदरणीय समर कबीर जी ..रचना पर प्रोत्साहन के लिए तहे दिल धन्यवाद ..आपके मशविरे पर मैं अवश्य ध्यान दूंगा ..मेरा आशय सिर्फ इतना था की आजकल जिस तरह से मासूम बच्चे अपहृत हो रहे हैं वो भी उस समाज में जो सभ्य होने का दावा करता है हम इस सफ़ेद पोशो पर भरोसा कर लेते हैं और धोखा खा जाते हैं , इंसान से लगते शैतानो हम पहचान नहीं पा रहे हैं ,,मेरा ऐसा सोचना था जो शायद सही नहीं है ..आप इस पर मुझे कोई मशविरा देंगे तो मुझे बेहद खुशी होगी / सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
18 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service