For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बचपन में
हजार बुरी बलाओं पर 
पर भारी था
मेरी माँ का टोटका
माँ के हाथों से
माथे पर छोटा सा
काला टीका लगते ही
भयमुक्त हो जाता था 
एक असीम ताकत 
दे जाता था मन को
वो ममता में लिपटा 
माँ का टोटका
अब तो मैंने कैसे कैसे 
कृत्यों से कर लिया है
पूरा मुँह काला
मगर फिर भी 
भय से व्याप्त मन 
हमेशा व्याकुल रहता है

मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा



Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on May 1, 2015 at 9:56pm

आदरणीय Samar kabeer जी आपको रचना पसन्द आयी इसके लिये तहेदिल से आभारी हूँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 1, 2015 at 11:46am

वाह कटारा जी

अति सुन्दर .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 11:10am

बहुत सुंदर. बहुत खूब आदरणीय उमेश जी. हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on May 1, 2015 at 11:04am
जनाब अमेश कटारा जी,आदाब,आप के लेखन में जो गहराई होती है वो सीधे दिल में उतरती है,इस शानदार रचना के लिये दिल से दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by umesh katara on April 30, 2015 at 9:34pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी आपको रचना पसन्द आयी इसके लिये तहेदिल से आभारी हूँ

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 30, 2015 at 9:01pm
अब तो मैंने कैसे कैसे
कृत्यों से कर लिया है
पूरा मुँह काला
मगर फिर भी
भय से व्याप्त मन
हमेशा व्याकुल रहता है
काली करतूतें सबको नहीं सहतीं , कुछ महान लोगों को ही सहती - सुहाती हैं , वे जितना मुंह काला करते जाते हैं उतने ही अमर होते जाते हैं.
बहुत सही व्यंग है आदरणीय उमेश कटारा जी , बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service