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गाँव में एक नयी बीमारी का प्रकोप फैला और लगातार कुछ बच्चों की मौत हो गयी । एक तरफ जहाँ लोग भयभीत थे वहीँ दूसरी तरफ ठाकुर के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी ।
अगले दिन उसके कोठी के पास अपनी कोठरी में रहने वाली अकेली विधवा को लोगों के हुजूम ने डायन कह कर गाँव से बाहर खदेड़ दिया ।
बच्चों की मौत का सिलसिला तो नहीं रुका लेकिन वो ज़मीन अब ठाकुर की थी ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 12:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी । विषय तो हमारी जिंदगी के आस पास बिखरे रहते हैं , जरुरत है तो बस उनको देखने की । बस इसी तलाश में रहता हूँ कि कुछ नया दिख जाए । आप के प्रोत्साहन से बल मिलता है , सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 24, 2015 at 11:24am

विनय जी

आप  विषयान्वेषी   हैं . कहाँ कहाँ से  खोज कर लाते है .  फ़िलहाल यह शोषण कथा अच्छी  बन पड़ी है . सादर .

कृपया ध्यान दे...

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