For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

-: खींच अहं के मग से डग प्रभु :-

-: खींच अहं के मग से डग प्रभु :-  (संसोधित)

खींच अहं के मग से डग प्रभु,

रख लें अपने चरणों में ||

है परम कांति अरु चरम शांति जो,

और किसी ना शरणों में |

सजा हुआ मद की बेड़ी मे,

जड़ा हुआ हूँ कहीं सिखा पर,

तोड़ एकांकी अहं का आसन,

मिला लें पद रज-कणों में |

खींच अहं के मग से डग प्रभु,

रख लें अपने चरणों में ||

यह राह नहीं है सीधा-सादा ;

मैं निकल पड़ा जिसपर |

रसहीन बचा बाकी जीवन,

अब गर्व करूँ किसपर |

अवसर पश्चाताप का ना तो,

फिर कहाँ मुक्ति मरणों में |

बस मुक्ति प्रभो के चरणों मे,

भक्ति भाव के वरणों में |

खींच अहं के मग से डग प्रभु,

रख लें अपने चरणों में ||

*****************

-शरद सिंह "विनोद" -

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on June 4, 2015 at 7:52pm

आ. सुनील जी हार्दिक धन्यवाद...सादर

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on June 4, 2015 at 7:50pm

उत्साह वर्धन के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद कबीर साहब..सादर...

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on June 4, 2015 at 7:48pm

तहेदिल से आपको धन्यवाद क्रिश्ना जी..

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on June 4, 2015 at 7:47pm

धन्यवाद बागी सर... उत्साह वर्धन के लिए सादर नमन..

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on May 31, 2015 at 8:15pm

तहे दिल से शुक्रिया आ. वामनकर साहब!!

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on May 31, 2015 at 8:13pm

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी ये कौशल भी आप लोगों के सानिध्य मे ही सईखना है... हौसला आफ़जाई के लिए धन्यवाद..सादर ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 28, 2015 at 11:00am

आ० शरद सिंह जी , बहुत सुन्दर भाव इस भक्तिमय अभिव्यक्ति के..

अहंकार रहित हो कर ही ईश्वर के श्रीचरणों में समर्पण संभव है, जिस हेतु ईश्वर से प्रार्थना 

टंकण त्रुटियाँ सह गयी हैं... शिल्प भी अभी और समय चाहता है..

इस प्रस्तुति पर मेरी शुभकामनाएं प्रेषित हैं , स्वीकार करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 27, 2015 at 10:38pm

बहुत सुन्दर रचना 

हार्दिक बधाई 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 11:05am

सुन्दर भक्तिगीत पर हार्दिक बधाई!भाई विनोद जी!

टाइपिंग त्रुटी को सुधार लें>>//सरणों//>शरणों

Comment by Samar kabeer on May 26, 2015 at 11:56pm
जनाब "विनोद" जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
5 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service