For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई सुने तो बयाँ दिल का दर्द करता हूँ

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन

मैं कैसे कर्ब से तकलीफ़ से गुज़रता हूँ
कोई सुने तो बयाँ दिल का दर्द करता हूँ

तमाम टैक्स चुकाता हूँ ज़िंदा रहने के
प शाईरी का अलग से लगान भरता हूँ

यही सबब है ,मुझे कम ही लोग जानते हैं
मैं इन फ़ुज़ूल की रुसवाईयों से डरता हूँ

अज़ल से आज तलक सिलसिला ये जारी है
मैं रोज़ जीता हूँ दुनिया में रोज़ मरता हूँ

यही तो है,मिरे फ़न का कमाल,देखो तो
जहाँ पे मिटते हैं सब लोग,मैं सँवरता हूँ

वो जिस में 'ग़ालिब'-ओ-'इक़बाल' ग़ोता ज़न थे "समर"
मैं रोज़ रात को उस झील में उतरता हूँ

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:25pm
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी,आदाब,आपके बग़ैर मंच सूना लग रहा था ,मेरी कुछ और ग़ज़लें आपके देखने से रह गई हैं,कृपा कर उन्हें भी देख लीजियेगा ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 11:19pm

आ.  Samar kabeer जी ,,आपकी गजलों की बिना ये मंच suna है ,,,आ. मैं अपने सेमेस्टर एग्जाम में व्यस्त tha ,,इसीलिए आपकी कई गजलें नही पढ़ पाया ,,,पर आगे से जरूर शिरकत करूँगा |

Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:19pm
जनाब मोहन सेठी "इंतज़ार" जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:17pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:16pm
जनाब महर्षि त्रिपाठी जी,आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी शिर्कत मेरी ग़ज़ल में हुई है,कहाँ थे जनाब ? ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:12pm
जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:10pm
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on June 3, 2015 at 11:09pm
आली जनाब डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on June 3, 2015 at 2:43pm

वाह वाह वा.. न जाने कैसे चूक गया इसे पढने से ...
हर शेर पर बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीय 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 3, 2015 at 1:34pm

यही तो है,मिरे फ़न का कमाल,देखो तो
जहाँ पे मिटते हैं सब लोग,मैं सँवरता हूँ..बेहतरीन बेहतरीन आदरणीय समर कबीर जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ..आप इतना कमाल का लिखते हैं हम जैसे सीखने वालों को नयी राह नया चिंतन मिलता है ..आपको ढेर सारी बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service