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ज़रा सी देर बाद ये चराग़ बुझ ही जाएगा
हदें तमाम ख़त्म हो रही हैं इन्तिज़ार की,,,,,वाह ! एक और शानदार गजल आ.Samar kabeer जी ,,,अपने अनुज की दाद कुबुलें |
सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की .....बहुत खूब बधाई!
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सादर |
आदरणीय समर कबीर जी ..बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है,..सुलूक इसके साथ जो भी जी में आए कीजिये
ग़ज़ल तुम्हारे सामने रखी है ख़ाकसार की......बेहतरीन
ख़ुशी से झूमते हो,झूम लो "समर" ज़रा सुनो
ख़बर तो कोई लाओ मेरे ग़म के रेगज़ार की...हर शेर उम्दा है
आदरणीय समर भाई , क्या बात है , एक और बेहतरीन गज़ल के रू बरू हुआ आपकी । दिली मुबारक बाद स्वीकार करें ।
वाह आ० समर सर! सुन्दर गजल हुयी है,शेर दर शेर दाद कबूल फरमायें!
सादर!
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