For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धड़कन भी खो जायेगी....

आओ न !
मेरे शब्दों को सांसें दे दो
हर क्षण तुम्हारी स्मृतियों में
मेरे स्नेहिल शब्द
तुम्हें सम्बोधित करने को
आकुल रहते हैं
गयी हो जबसे
मयंक भी उदासी का
पीला लिबास पहन
रजनी के आँगन में बैठ
तुम्हारे आने का इंतज़ार करता है
न जाने अपने प्यार के बिना
तुम कैसे जी लेती हो
यहाँ तो हर क्षण तुम्हारी आस है
तुम बिन हर सांस अंतिम सांस है
तुम नहीं जानती
तुम्हारी न आने की ज़िद क्या कहर ढायेगी
जिस्म रहेंगे मगर
जिस्मों से जान चली जाएगी
रजनी भी मयंक की उदासी न दूर कर पाएगी
वक्त की पालकी पे
ज़िंदगी भी यूँ ही गुज़र जाएगी
यादों की गर्द में
दिल भी खो जायेगा
धड़कन भी खो जायेगी

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 18, 2015 at 12:39pm

आदरणीय   krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी रचना  के मर्म पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 13, 2015 at 11:30pm

आ० सुनील सरना जी आपने मंत्रमुग्ध कर दिया है!दिल बाग़ बाग़ हो गया इस कृति पर!नमन्!

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2015 at 9:55pm

आदरणीय   गिरिराज भंडारी जी रचना  के मर्म पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 11, 2015 at 1:29pm

आदरणीय सुशील भाई , सुन्दर भाव पूर्ण रचना हुई  है , क्या बात है , दिली बधाइयाँ । रजनी भी मयंक की उदासी न दूर कर पाएगी
वक्त की पालकी पे
ज़िंदगी भी यूँ ही गुज़र जाएगी
यादों की गर्द में
दिल भी खो जायेगा
धड़कन भी खो जायेगी  --  बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !!

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2015 at 11:50am

आदरणीय  shree suneel  जी रचना  के मर्म पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2015 at 11:49am

आदरणीय  Kewal Prasad  जी रचना  के मर्म पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2015 at 11:49am

आदरणीय   vijay nikore जी रचना  के मर्म पर आपकी आत्मीय   प्रशंसा का  हार्दिक आभार। 

Comment by shree suneel on June 11, 2015 at 11:06am
भावपूर्ण... सुन्दर.. प्रभावित करती इस प्रस्तुति के लिए बधाई आपको सुशील सरना सर.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 11, 2015 at 9:22am

आ0 सुशील  भाई जी,  सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर

Comment by vijay nikore on June 11, 2015 at 8:15am

बहुत ही सुन्दर भाव ! बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service