योग भगाये तन के सब रोग,
मन में सच्चा विस्वास जगाए।
जो नित करे जीवन में योग,
भव बाधा जीवन से मिट जाएँ ॥
मन मस्तिष्क का सुंदर संयोग
चुस्त और तंदुरुस्त शरीर बनाए ।
आलस्य भगाए जीवन से योग
समाज में प्रेम दया बंधुत्व जगाए ।
छल कपट लालच का नहीं संयोग
सबके जीवन से दुख दूर भगाए ॥
जीवन का है यह अनुपम संयोग
जाति धर्म की दूरियों को मिटाए ।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते लोग
जग को एक छत्र के नीचे लाए ।
अपने जीवन में अपना कर योग
सब उन्नतिशील समाज बनाए ।
कुछ मुसलमानों का देखो हठ योग
मजहब से जोड़ इसे तकरार बढ़ाए ।
योग पर राजनीति करते कुछ लोग
भारत की देन पर अपना नाम चमकाएँ ।
आज छा रहा जगत में अब यह योग
चारों दिशाओं में अपना परचम लहराए ।
यह सुंदर स्वस्थ परंपरा का योग
जहाँ ऊंच नीच सब संग मिल जाएँ ॥
मौलिक एवं अप्रकाशित
राम आश्रय
Comment
sundar aur samayuik rachnaa - badhaee
आ० राम आसरे जी
आपने योग की महिमा बतायी . आपका आभार .
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