For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"थकी हुयी सी जिन्दगी"

थकी हुयी सी जिन्दगी,
थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।
सुबह की धूप शाम है,
शाम रात सी घनी।
हवा मे क्या ये घुल रहा,
फिज़ा जहर सी बनी।
कहाँ आ गये है हम,
हर कोई हैरान है।।
अजनबी है हर कोई,
अजनबी है ये जहाँ।
मोबाईल वैब से जुडे,
दिलो के फासले यहाँ।
हर किसी का नाम है,
पर हर कोई बेनाम है।।
थकी हुयी सी जिन्दगी,
थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।

'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 1:51pm

पुनः , 

वीरेन्द्र वीर जी यह क्या है ?  ग़ाम -लाफ़ की आवृति को निभाने की कोशिश हुई है. इसके प्रति भी सतर्क होना था.  लेकिन इसके अलावा कोई और बात समझ में  नहीं आयी.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 9, 2015 at 9:40am

आदरणीय सुनील प्रसाद जी  रचना  पर होसला  अफजाई के लिए  आप का दिल से शुक्रिया ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 9, 2015 at 9:39am

आदरणीय  सौरभ पाण्डेय सर आपने  रचना  पर समय दिया. उसके लिए  आप का तहे दिल से आभार.

किया गया  प्रयास कितना सफल है  या  पूर्ण असफल इसके  प्रति  आप की राय कुछ और स्पष्ट होती थी या  कुछ सलाह आप देते  तो अनुज को अवश्य कुछ सीखने  का अवसर  मिलता....

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 8, 2015 at 7:44pm
बेहद खूब अल्फाज बेहतरीन बोल

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 6:07pm

वीरेन्द्र वीर जी यह क्या है ?  ग़ाम -लाफ़ की आवृति को निभाने की कोशिश हुई है. इसके प्रति भी सतर्क होना था.  लेकिन इसके अलावा कोई और बात समझ में  नहीं आयी.

हर प्रयास को मंच मिले यह उचित है क्या ?

 

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 12:02am

थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।,,,,बढ़िया आ. VIRENDER VEER MEHTA जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 1, 2015 at 6:36pm

आदरणीय अच्छी नज़्म हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 3:01pm

वाह बढ़िया प्रस्तुति 

हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 28, 2015 at 4:48pm
आदरणीय विनय भाई जी आपने सदा ही मेरी रचना को मान देकर मेरा उत्साह बढ़ाया है इसके लिये मेरा ह्रदय तल से आभार स्वीकार करे।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 28, 2015 at 4:43pm
आदरणीया कांता रायजी मेरे शब्दो पर अपनी प्रतिक्रिया की मोहर लगाकर उत्साहवर्धन करने के लिये दिल से आपका आभारी हूँ। धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service