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इतनी सी तब तो बात अब उतनी हुई = इतनी सी तब थी बात, अब उतनी हुई.
बाकी अश’आर पर जैसी बहस हुई है वह आपकी ग़ज़ल की थाती है. हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीय.
बहुत खूब, बहुत खूब ! बधाई।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने। बधाई श्री सुनील जी।
पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने
लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई.
ऐ चाँद! मुझको खींच ले ख़ुद की तरफ़
देखूं कि छत पे होगी वो आई हुई. वाह क्या सुन्दर शेर हैं।
bahut behtareen
// पाया है जो मेयार तेरे इश्क़ ने
लो! ज़िन्दगी क्या! रूह भी तेरी हुई // , वाह , वाह , बेहद उम्दा शेर , बधाई क़ुबूल करें आदरणीय..
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