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महंगी मुस्कान (लघुकथा )

महंगी मुस्कान ( लघुकथा )




" मुस्कान का व्यापारी हूँ । मुस्कान ही बेचता हूँ । कई प्रकार की मुस्कान है मेरे पास । "

" ये क्या बात हुई भला ..!!! मुस्कान का भी कोई व्यापार होता है ! "

" होता है बाबू , आजकल मुस्कान भी बिकती है । .... मुस्कान बडी ही महंगी चीज़ होती है । "

" अच्छा !! दिखाओ तो भला ... कितने प्रकार की मुस्कान है तुम्हारे पास ..??? "

" पहले जेब से पैसा निकालो , तुम्हारा जेब ही तय करेगा कि तुम पर कौन सा मुस्कान सुट करेगा । "

पढा लिखा बेरोजगार भला क्या जेब में हाथ डालता .... दिहाड़ी करने लायक भी ना रहा था अब वो ।

महंगे मुस्कान पर फीकी सी मायूस नजर डाल वह आगे बढ़ गया ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 16, 2015 at 9:13pm

सपनों के सौदाग़रों का सारा खेल यहीं से प्रारम्भ होता है, आदरणीया कान्ताजी. जिसकी जितनी औकात होगी आजके विकास से उतनी मुस्कान खरीद लेगा. इस बिम्बात्मक रचना केलिए हार्दिक बधाई.

बहुत खूब !

Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:07pm
हृदय तल से आभार आपको लघुकथा पर मेरा हौसला बढाने के लिये आदरणीय गिरीराज भंडारी जी ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:06pm
आभार आपको आदरणीय जवाहर लाल जी कथा पसंदगी के लिए ।
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:05pm
वैश्वीकरण के दौर में मुस्कान की कीमत होती है । पैसा ही तय करता है मुस्कानों का आकलन उसके फीके और गहरे होने का । लघुकथा पर आपकी सराहना मेरा हौसला बढा गई आदरणीय मोहन सेठी ' इंतजार ' जी । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:02pm
आपको यह फीकी मुस्कान भा गई आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , मेरा लिखना सार्थक हुआ । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:01pm
आदरणीया परी एम श्लोक जी , आपका कथा को पसंद करना अच्छा लगा । आभार
Comment by kanta roy on July 13, 2015 at 1:00pm
कथा पसंदगी के लिए आभार आपको आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 7, 2015 at 11:23am

बहुत सुन्दर , तंजिया कघुकथा कही !  हार्दिक बधाई ।  आदरणीया कांता जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 6, 2015 at 8:39pm

बहुत ही सुन्दर कटाक्ष !

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 6, 2015 at 7:02pm

आदरणीय कान्ता राॅय जी सही है पैसा ही तो है .....सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई 

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