For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवन और दानव ( लघुकथा )

अनुष्ठान में पंडितों का जमावड़ा , हवन और मंत्रों के जाप से सम्पूर्ण वातावरण पवित्र और सुवासित हो उठा था । प्राँगण में महिलाओं का समूह बैठकर बडे उत्साह से ढोल मंजीरे लिये भजन गा रहा था । 

एक पंडित ने अनुष्ठान के आमदनी पर सवाल उठाये कि मंदिर कार्यकर्ताओं में खलबली मच गई ।
पल भर में ही देव सारे विलुप्त हो गये अनुष्ठान में सिर्फ दानवों का अधिपत्य हो गया ।



कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2015 at 5:09pm

वाह वाह ! लघुकथा ने पंच लाइन के माध्यम से सटीक माहौल बनाया है. देव और दानव को दो जातियों के थे या नहीं यह इतिहास ही नहीं, मानवविज्ञान, मनोविज्ञान और तो और व्यवस्था (प्रशासन) का भी प्रश्न रहा है. लेकिन ये दो इकाइयाँ मनोवृत्ति की उपज हैं,  अधिक अपीलिंग है. देखिये, आपकी कथा का इंगित तभी कितना प्रभावी बन पड़ा है.

शुभेच्छाएँ

Comment by kanta roy on July 10, 2015 at 9:28pm
वाह !!!!! मुझे जो चाहिए था वो मुराद पूरी हो गई सर जी । आपका कथा पर आकर मुझे यह सुझाव देना... मै इंतजार कर रही थी आपका कि आप मुझे उचित मार्गदर्शन करेंगे ॥ नमन आपको आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , अब मै कथा को एडिट कर लेती हूँ । सादर नमन
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:15pm

पल भर में ही देव सारे विलुप्त हो गये अनुष्ठान में सिर्फ दानवों का अधिपत्य हो गया । मेंरी समझ में कहानी वही ख़त्म हो जाती है . इसके आगे का वर्णन कई अनावश्यक  सवाल खड़े करता है

.प्राँगण में महिलाओं का समूह में बैठ बडे उत्साह से ढोल मंजीरे लिये भजन गाना =====इसे इस तरह लिखा जा सकता है---प्राँगण में महिलाओं का समूह बैठकर बडे उत्साह से ढोल मंजीरे लिये भजन गा रहा था . सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 9, 2015 at 8:49pm

आदरणीया जी , मुझे कोई आपत्ति नही है, लेखक को पूर्ण अधिकार है , लिखने का क्योंकि रचना की परिकल्पना लेखक की ही होती है , समीक्षक की नही . 

कृपया अन्यथा न लेंगी , सादर // हवन कुंड फिर से माँस लोथरों से भर गया ।//  में से यदी // फिर से // हटा दिया जाए तों क्या ठीक न होगा . इस कथा के क्रम में . सादर 

Comment by kanta roy on July 9, 2015 at 3:06pm
अनादि काल से शास्त्रों के अनुसार यह घटित होता रहा है कि जब भी रिषी मुनिजन हवन , यज्ञ का आवाहन करते हुए आहूति देना शुरू करते थे तो दानव उस यज्ञ को भंग करने के विविध चेष्टाओं में एक यह भी करते थे कि हवन कुंड में माँस , हड्डी डाल कर आयोजन का नाश कर जाते थे और त्राहि त्राहि मच जाती थी ॥ कथा में आज भी दानव हवन ,यज्ञों को मानव रूप में प्रभावित कर जाते है । माँस , लोथडे उसी संदर्भ में यहाँ प्रयुक्त किया गया है । आभार आपको कथा पसंद करने के लिए आदरणीय प्रदीप कुमार जी ।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 8, 2015 at 8:45pm

हवन कुंड फिर से माँस लोथरों से भर गया ।---क्या इस वाक्य के बगैर रचना ठीक न थी . धार्मिक स्थल पर पंडों  की स्थिति का सटीक वर्णन , बधाई आदरणीया जी 

Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 2:21pm
आपने वही पंक्ति नोटिस किया है आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी जहाँ मै भी संशय में थी । उस पंक्ति पर मुझे ठीक शब्द मिल ही नहीं रहे थे और गतिमान गलत शब्द प्रयुक्त हो गया है । मै अभी सोचती हूँ इस पंक्ति पर फिर से । मेरा लेखन का उत्साह बढ़ जाता है जब मुझे मार्गदर्शन मिलता है । ऐसे ही सदा निगाहें गडाये रहियेगा मेरी रचनाओं पर और मेरा उत्साह युँ ही सदा बढाते रहियेगा । नमन
Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 2:16pm
आभार आपको आदरणीया सविता जी कथा पर मेरा मनोबल बढाने के लिये ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 2:09pm

प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

इस वाक्य के विन्यास को एक बार पुनः देखिएगा-

प्राँगण में महिलाओं का समूह में बैठ बडे उत्साह से ढोल मंजीरे लिये भजन गाना एक अद्भुत समावेश वातावरण में गतिमान था ।

Comment by savitamishra on July 8, 2015 at 1:48pm

बहुत खूब ...पैसे के मोह में दानव जाग ही जाता हैं ..नमस्ते दी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी…"
19 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी आपकी आपत्ति का संज्ञान ले लिया गया है. सभी देवताओं को किसी ने व्यभिचारी नहीं कहा…"
21 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वाह! ख़ूब ! ख़ूब! बहुत ख़ूब! शानदार ग़ज़ल कही आपने आदरणीय शिज्जू शकूर साहब। गिरह सहित सभी शेर असरदार…"
23 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. दयाराम जी,बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..इस्लाह जैसा कुछ भी नहीं है किन्तु दो चार बारीक बातें प्रस्तुत…"
28 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी.मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा होता नहीं. वो अपनी अपनी बारी…"
34 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों…"
37 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"निडर होने का मतलब वृहत समुदाय की भावनाओं को आहत करना तो नहीं ही हो सकता है। आप के इस शेर से मुझे…"
41 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, एक अच्छी ग़ज़ल से मुशायरे को शुरुआत दी आपने। लगभग सभी शेर अच्छी कहन में हैं,…"
47 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. अजय जी व्यभिचार भी यह कहीं प्रतीत नहीं होता की हमेशा करते रहे ..लेकिन व्यभिचार…"
58 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. तिलकराज सर "
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ऋचा जी। आदरणीय शिजजु जी और नीलेश भाई ने जो बिन्दु दिए हैं वो…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service