For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- जतिंदर औलख

मेरे शब्दों के मायाजाल को तुम याद कर लेना,
दहकती आंधियों में फिर भले परवाज़ भर लेना।

हवा की महक होकर तुम मेरी सासों में बस जाना,
खुद को तुम खुदी से इस तरह आजाद कर लेना।

पवन हो तुम मैं बादल हूँ उडूंगा आसरे तेरे,
ज़माने के लिए रिश्ते का कुछ भी नाम रख लेना।

दुनीआ ने गिरा दिया नज़रों के परबत से हमे,
मुझ दरिया को सागर बन के तू बाँहों में भर लेना।

है सूखे बाग़ के लहजे में मुझको ख़ुदकुशी करनी,
आंधी बन के आने का कभी इकरार कर लेना।

आँख भरना बहक जाना बिखरना फूल पत्तियों से,
ग़ज़ल लिखनी अगर औलख तो ये काम कर लेना।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मोहन बेगोवाल on July 26, 2015 at 10:22am

  आदरणीय जतिंदर जी , बहुत ही भाव पूर्ण गज़ल पोस्ट करने की बधाई , धीरे धीरे बहुत कुछ सिखने को मिलेगा , एक बार फिर खुशामदीद 

Comment by Jatinder Aulakh on July 25, 2015 at 10:22pm
इस बेमिसाल हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत शुक्रिया दोस्तों ।।।जरूर अभी नई नई लिखनी शुरू की है ।। जरूर सीखूँगा
Comment by Harash Mahajan on July 25, 2015 at 9:01pm

बहुत ही सुंदर भाव आपने अपनी अपनी कृति में दिए....!!

Comment by saalim sheikh on July 25, 2015 at 4:08pm

अच्छे शेर कहे हैं भाई ! लेकिन ग़ज़ल के एतबार से  कुछ जगह ग़लतियाँ हैं , मैं खुद अभी सीख रहा हूँ इसलिए ज्यादा नहीं कह सकता , आप चाहें तो यहाँ  ग़ज़ल की कक्षा जॉइन कर सकते हैं  ! 

Comment by Jatinder Aulakh on July 25, 2015 at 2:42pm
बहुत धन्यवाद Kanta Roy जी । हिंदी ग़ज़ल में अभी नया हूँ। मगर आपके शब्दों ने मुझे बहुत हिंमत दी है।
Comment by Jatinder Aulakh on July 25, 2015 at 2:13pm
बहुत धन्यवाद Kanta Roy जी । हिंदी ग़ज़ल में अभी नया हूँ। मगर आपके शब्दों ने मुझे बहुत हिंमत दी है।
Comment by kanta roy on July 25, 2015 at 9:38am
आँख भरना बहक जाना बिखरना फूल पत्तियों से,
ग़ज़ल लिखनी अगर औलख तो ये काम कर लेना........ दिल झूम उठा पढकर .... वाह !!! मुबारकाँ जी आदरणीय जतिंदर औलख साहब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service