For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बजता हूँ बन के साज तेरे मंदिरों में अब (इस्लाही गजल )

2212 2212 2212 22

बजता हूँ बन के साज तेरे मंदिरों में अब,
देता तुझे आवाज  तेरे मंदिरों में अब |

मांगी थी मैंने उम्र की संजीदगी लेकिन, 
क्यों इस तरह  मुहताज तेरे मंदिरों में अब |

मन जिसका देखूं दुश्मनी की नीव पे काबिज़, 
कैसे करूँ परवाज़ तेरे मंदिरों में अब | 

बस रौशनी की खोज में भटका तमाम उम्र
पगला गया, नेवाज तेरे मंदिरों में अब |

ले चल मुझे शमशान, कोई गम जहाँ ना हो, 
मेरा गया हमराज, तेरे मंदिरों में अब |


हर्ष महाजन  

"मौलिक व् अप्रकाशित"


नवाज = ईश्वर/भगवान् 
मंदिर = इंसानी देह  

Views: 1567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on August 19, 2015 at 8:15pm
आ0 annapurna bajpai जी उत्साहवर्धक शब्दों के लिए शुक्रिया ।
Comment by annapurna bajpai on August 19, 2015 at 6:50pm

सुंदर भाव युक्त गजल , बधाई आपको 

Comment by Harash Mahajan on August 4, 2015 at 11:00am

आ० Saurabh Pandey जी सच ही कहा आपने ...यह मंच ही गुरु है जो चीज़ चाहो यहाँ हम सीख सकते हैं यहाँ आकर धन्य हुए हैं सर | आभार !!

Comment by Harash Mahajan on August 4, 2015 at 10:57am

आदर्नीय  समर जी शुक्रिया आपकी बताई हुई इस कृति में  त्रुटी दुरुस्त कर ग़ज़ल में  रख ली है ...शुक्रिया एक बार फिर |
आज बहुत दिनों बाद इस पुरानी कृति पर आया हूँ...गुनीजनों की व्यस्तता के चलते   इस पर काम कुछ चर्चा इस पर अधूरी रह गयी |

मांगी थी मैंने उम्र की संजीदगी मगर
क्यों इस तरह  मुहताज तेरे मंदिरों में अब |

हर एक दिल प हो गई क़ाबिज़ ये दुश्मनी,
पगला गया, नेवाज तेरे मंदिरों में अब |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 2:12pm

यह मंच ही गुरु हैं और हमआप शिष्य हैं. बाकी सारा कुछ सम्बोधन के क्रम में अपनाये गये शब्द हैं, आदरणीय हरष भाई.

शुभेच्छाएँ. 

Comment by Harash Mahajan on August 2, 2015 at 10:11am

आदरणीय Jatinder Aulakh जी इस बे-पनाह प्यार के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया !!
साभार !!

Comment by Harash Mahajan on August 2, 2015 at 10:09am

आदरणीय Saurabh Pandey जी आदाब ! सर नि:शब्द  हूँ ! सर आप सब गुनीजनों के हजूर में अपनी अदना सी कोशिश कर रहा हूँ और आज आप को मेरी इस मुक्तसर सी रचना पर आप आये दिल बाग़ -बाग़ हो गया | आप सब का सानिध्य पा कर सहज होने की कोशिश भर है | सर यहाँ हर शख्स पूरी तरह तराशा हुआ नज़र आता है | आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी और आदरणीय Samar kabeer जी हर इशारे को समझने की कोशिश कर रहा हूँ | आपसे दिली अनुरोध  सर पर अपना साया बनाए रखियेगा सर | इस मंच पर आकर सर..खत्म हो रही "गुरु-शिष्य" परम्परा को फिर से अस्तित्व में आते देखा है | शायरी और ग़ज़ल की रवानगी में नया जोश भरना इस छोटे से कार्यकाल में मिथिलेश वामनकर जी और Samar kabeer जी को देखा है | सर 0b0 को और यहाँ पर सभी को मेरा तह-ए-दिल से सलाम | शुक्रिया सर !!

साभार

हर्ष महाजन

Comment by Jatinder Aulakh on August 2, 2015 at 7:29am
Bahut khoobsurat

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 3:27am

हर्ष भाई आपकी पहली रचना पढ़ रहा हूँ. आप जैसे नये सदस्य इस मंच पर आते ही कितनी सहजता से वातावरण में रच-बस गये हैं ! देख कर मन प्रसन्न होता है. आपको मिले सुझावों से आपकी कोशिशें और क़ामयाब होंगीं. 

शुभेच्छाएँ. 

Comment by Harash Mahajan on August 1, 2015 at 11:27pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी वक़्त मिले नज़र इधर भी दीजियेगा सर !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service