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अपनी ख़ुशी उछाल के बिजली के तार पर |
रौशन किया है देखिये घर जोरदार पर |
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आसान लग रहा है अगर तै सफ़र मियां |
तो जिंदगी ये आपकी समझो उतार पर |
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अब कुछ नहीं तो तज्रिबा हासिल हुआ हमें |
जोखिम उठा के जो किया बोसा कटार पर |
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रंगों ने सादगी को जो रंगीन कर दिया |
तो सादगी से रंग भी आये निखार पर |
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तुमको हुनर मिला है ये उसका ही है फज़ल |
फनकारियां हुई है उसी के उधार पर |
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रखना जुबान पाक, ये मुमकिन है फिर कभी |
वापिस वही मिलेगी तेरी हर पुकार पर |
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इक बार में कुबूल न हो पाई जो दुआ |
अपने दिए को यार रखो फिर मज़ार पर |
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जो सुन रहा है आज तरन्नुम भी शोर में |
होगी नई मिसाल उसी खाकसार पर |
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‘वादा लिया कि ख़्वाब, हकीक़त करोगे तुम’ |
यूं बोझ रख दिया है किसी होनहार पर |
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मज़हब अलग-अलग है इबादत अलग-अलग |
सुन लो सभी का एक है परवरदिगार पर |
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हर एक शै जो आज अदीबों को दिख रही |
कल ये जहां करेगा अमल उस्तुवार पर |
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परवाज़ है बुलंद मगर देखिये जरा |
आता है लौट कर वो परिन्दा दयार पर |
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Comment
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अब कुछ नहीं तो तज्रिबा हासिल हुआ हमें |
जोखिम उठा के जो किया बोसा कटार पर |
बहुत उम्दा बात |
आदरणीय सूबे सिंह सुजान जी, ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
आदरणीय दिनेश भाई जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ. मेरे विचारों के मुखर अनुमोदन से आश्वस्त हुआ. ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
आदरणीय गुनीजनों के मार्गदर्शन अनुसार शीघ्र ही मिसरों में संशोधन करता हूँ. सादर
आदरणीय सौरभ सर, ग़ज़ल पर आपकी इस सकारात्मक प्रतिक्रिया ने मुग्ध कर दिया- //हर शेर अद्भुत सोच का परिणाम है.//
संभवतः यही प्रतिक्रिया है जो शायरी के कहन को दिशा देती है.
//जो ज़ल्दबाज़ी वाली बात किसी ने बतायी है, सही है. पुरानी आदत और ग़हरे दाग़ धीरे-धीरे जाते हैं.// इस बार केवल 4 दिन ग़ज़ल को पोस्ट होने से रोके रख सका इसलिए ये बात आंशिक सही है कि अपेक्षकृत जल्दबाजी हुई है. उससे भी सही कहा कि पुरानी आदत....... लेकिन प्रयास जारी है.
मतले पर आपके मार्गदर्शन से आगे सोच नहीं पा रहा हूँ इसलिए यही अभी बेस्ट लग रहा है - रौशन किया है देखिये घर जोरदार पर
बाकी मिसरों को सुधारता हूँ. आपके मार्गदर्शन और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ... सादर नमन
आदरणीय रवि जी, आपने जो कहा है निसंदेह विचारणीय है. मैं इस शेर पर पुनर्विचार करता हूँ. सादर
आदरणीय सुशील सरना सर, ग़ज़ल आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. आपके प्रोत्साहन से सदैव मेरा मनोबल बढ़ता है. ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
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