2122 1212 112/22
ज़ख़्म सूखे निशान छोड़ गये
जैसे अपना बयान छोड़ गये
लौट के यूँ गये मेरे दिल से
मानो ख़ाली मकान छोड़ गये
सारी खुश्बू हवायें ले के गईं
ये भी सच है कि भान छोड़ गये
राग खुशियों के छिन्न भिन्न किये
मित्र, ग़मगीन तान छोड़ गये
उड़ गये जब परिंदे बाग़ों से
पीछे सब सून सान छोड़ गये
हाले दिल क्या बयान कर पाते ?
हम से कुछ बे ज़ुबान छोड़ गये
खुद चढ़ाई चढ़े हैं वालिद , अब
तिफ्ल खातिर ढलान छोड़ गये
******************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरनीय जय प्रकाश भाई , आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय शिज्जु भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीया तनुजा जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय सौरभ भाई , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका दिल से आभारी हूँ ।
आदरणीय राम शिरोमणि भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।
आदरणीय मोहन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
आदरनीय मनोज भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
जहाँ तक सून सान की बात है , मै शब्द कोष मे देख कर ही लिखा हूँ -- आपको अटपटा क्यों लगा मै नही कह सकता ।
शब्द कोष - आदर्श हिन्दी शब्द कोष - संशोधित संस्करण - पेज न. 788 , दूसरा कालम का 11वाँ शब्द । सूनसान = निर्जन , सुनसान । दिया हुआ है । आप देख सकते हैं ।
वाह वाह क्या बात है आदरणीय ,बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online