For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत - "बूँदें मचल रही हैं"

घन स्याम नभ में’ छाया , बूदें मचल रही हैं |
है जोर अब हवा का, ये बन सँवर रही हैं |
सूरज छुपा है’ बैठा , रूठा है रश्मियों से,
धरती मगन हुई है , चाहत उबल रही है |
.....घन स्याम नभ में’ छाया , बूदें मचल रही हैं |
 
कुछ बूँद जब पड़ी तो, खुशबू सी आ रही है |
मिल मेघ से धरा भी, आनंद पा रही है |
खिलता गया बदन ये , कितना निखार आया
धानी चुनर पहनकर , सज के खड़ी मही है |
....धरती मगन हुई है , चाहत उबल रही है |
 
अब लद गये हैं’ वो दिन , जब धूल उड़ रही थी |
जल के लिए मही जब, केवल तडप रही थी |
अब तो बरसता’ बादल, धरती नहा रही है |
दिन रात भीगी’ धरती, कितना लुभा रही है |
....धरती मगन हुई है , चाहत उबल रही है |
 
नाविक बना ये’ बालक,कितना मचल रहा है |
कागज की’ किश्ती’ लेकर, मस्ती में डोलता है |
मिल स्वाति से ये बूँदें , मोती बनी सजी हैं |
नदियाँ उधर निकलकर , सागर से’ जा मिली हैं |
 
पल ये बना मनोरम , मस्ती भी दिख रही है |

सुन सुनके’ छंद सुंदर , कुदरत भी गा रही है |

..... धरती मगन हुई है , चाहत उबल रही है |

(मौलिक अप्रकाशित )
"छाया" छाया शुक्ला

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chhaya Shukla on September 13, 2015 at 8:44pm

आदरणीय विजय निकोर जी आपका हार्दिक स्वागत है |
दिल से धन्यवाद !
सादर नमन !

Comment by vijay nikore on September 13, 2015 at 1:09pm

अति सुन्दर, मनोहारी गीत। बधाई।

Comment by Chhaya Shukla on September 11, 2015 at 11:09am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका हार्दिक स्वागत है |
दिल से धन्यवाद !
सादर नमन !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2015 at 10:49am

आदरणीया छाया की , इस मनोहारी गीत के लिये आपको दिली बधाइयाँ ।

Comment by Chhaya Shukla on September 11, 2015 at 10:45am

आदरणीय शिज्जु शूकर जी आपका स्वागत है
दिल से धन्यवाद !
सादर नमन !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 8:49pm
बहुत सुंदर गीत है आदरणीया छायाजी बहुत बहुत बधाई आपको
Comment by Chhaya Shukla on September 10, 2015 at 12:12pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आपका हार्दिक स्वागत है |
उत्साह बढाती प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद स्वीकारें |
सादर नमन !

Comment by Chhaya Shukla on September 10, 2015 at 12:11pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपका हार्दिक स्वागत है |
उत्साह बढाती प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद स्वीकारें |
सादर नमन !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2015 at 8:36pm
.....घन स्याम नभ में’ छाया , बूदें मचल रही है -आपकी कविता में एक  थिरकन है -सचमुच .
 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 9, 2015 at 5:24pm

आदरणीया छाया जी बहुत सुन्दर गीत हुआ है. हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service