सिमट कर नहीं रहता
~~~~~~~~~~~~~~~
(लक्ष्य “अंदाज़”)
वैसे भी मेरे घर की चिलमन में सिमट कर नहीं रहता !!
रंग नहीं खुशबू है वो मधुवन में सिमट कर नहीं रहता !!
गहरी आँखों के पानी में इक किश्ती कोई डूबी तो क्या ,
रूप का दरिया एक ही दरपन में सिमट कर नहीं रहता !!
कल जब वो उस जंगल से ज़ख़्मी हुए पाँव लिए लौटा ,
बोला ये बनफूल किसी चमन में सिमट कर नहीं रहता !!
गीली माटी की सौंध में लिपटे खस को क्या पहचानोगे,
जो शज़र चन्दन है वो सहन में सिमट कर नहीं रहता !!
तू दरिया के बालू सा सौदागर तुझे मूर्तियों में गढ़ लेंगे ,
सहरा की रेत मैं किसी सावन में सिमट कर नहीं रहता !!
सूखती फसल लहलहाती बेटियाँ इक टुकड़ा बंजर ज़मीं ,
अब किसान जीव का धडकन में सिमट कर नहीं रहता !!
‘अंदाज़’ को न बदनाम कर उसके अंदाज़ बड़े अच्छे हैं ,
ये बात और वो अब तेरे दामन में सिमट कर नहीं रहता !!
मौलिक एवं अप्रकाशित
©2015 “ANDAZ-E-BYAAN” Dr.L.K.SHARMA
Comment
आदरणीय, शिल्प का आपने उल्लेख ही नही किया है , रचना मे कही बातें बहुत अच्छी लगी , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
शिल्प के बारे में गुनीजन बताएं पर भाव की दृष्टि से रचना प्रभावित करती है .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online