भारत के अंबर पर देखो
सूर्य सी हिन्दी चमक रही है
माँ भारती के उपत्यका में
खुशबू बनकर महक रही है
विभिन्न प्रांतों का सेतुबंधन
सरल सर्वजन सर्वप्रिय है
दक्षिण से उत्तर पूर्व पश्चिम
दम दम दम दम दमक रही है
संस्कारों की वाहक हिन्दी
सभी भाषाओं में यह गंगा
प्रगति पथ पर नित आरूढ़ ये
पग नवल सोपान धर रही है
यूरोप अमेरिका ने माना
है यह भाषा समर्थ सक्षम
हम भारतियों के दिल में देखो
धड़कन बन कर धडक रही है
नीरज कुमार नीर / मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ....
अपनी हिंदी भाषा के सम्मान में सुन्दर रचना लिखी है बहुत बहुत बधाई आपको नीरज कुमार जी
हार्दिक आभार आदरणीय श्री सुनील जी इस उत्साहवर्धन हेतू ...
आपका हार्दिक आभार आदरणीय amod bindouri जी ॥
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