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कुछ दोहे !

झुमका झांझर चूड़ियाँ, करधन नथ गलहार |

बिंदी देकर मांग भर,.....कर साजन सिंगार ||

 

सूनी सेज न भाय रे, छलकें छल-छल नैन |

पी-पी कर रतिया कटे,....दिन करते बेचैन ||

 

उस आँगन की धूल भी, करती है तकरार |

अपनेपन से लीपकर , जहां बिछाया प्यार ||

 

हरियाली घटने लगी, कृषक हुए सब दीन |

राजनीति जब देश की, खाने लगी जमीन ||

 

टहनी के हों पात या, हों फुनगी के फूल |

दोनों तरु की शान हैं, तरु दोनों का मूल ||   

 

लगन लगे जब प्रेम की, बहे प्रीति की धार |

मन डूबे मँझधार में,......तन उतरे उस पार ||

 

मोल न जाने वक्त का, घाम पड़े तक सोय |

पाये सपनों में ख़ुशी,.....नैन खुले तब रोय ||

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

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Comment by Ashok Kumar Raktale on October 13, 2015 at 1:52pm

आदरणीया  कान्ता रॉय जी सादर, प्रस्तुत  दोहा छंदों  के  भावों  को आपने  महसूस  किया  है. मेरे  रचनाकर्म  को सार्थकता  मिली  है.  आपका  हृदयातल  से  आभार. सादर.

Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 11:07pm

सात दोहे में उकेरे है आपने जीवन के सात रंग। दुल्हन के सिंगार का साजन से नाता का बड़ा ही कोमल भाव हुआ है वहीं दूसरे तरफ आँगन के लीपन में रिश्तों का प्यार समाया है। राजनितिक विसंगतियों को, किसान का दर्द भी समेट लिए है आपने इन पंक्तियों में।
लगन लगे जब प्रेम की, बहे प्रीति की धार |
मन डूबे मँझधार में,......तन उतरे उस पार ||------ चैतन्य मन को भी यहाँ बहुत खूब परिभाषित किये है। बधाई स्वीकार करे इस अद्वितीय रचना के लिए।

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 11, 2015 at 8:17am

दोहे पसंद करने के लिए आपका दिल से आभार आदरणीय सतविन्दर कुमार जी. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 10, 2015 at 10:23am
सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीय
Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2015 at 9:35pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहब सादर, प्रस्तुत दोहे पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2015 at 9:34pm

आदरणीय जयनित कुमार मेहता "जय" जी सादर, प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.

Comment by Shyam Narain Verma on October 9, 2015 at 3:11pm

वाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति … हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by जयनित कुमार मेहता on October 9, 2015 at 9:07am
वाह! मन को उद्वेलित करने वाली रचनाएं.. बधाई स्वीकार करें, सादर..

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