For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलते रहना रुकना मत।

चलते रहना रुकना मत।

पथ चाहे हो पथरीला ,

पर्वत हो चाहे टीला ,

सघन समूचा जंगल हो ,

गूढ़ समुंदर हो नीला ,

वीरों सा बढ़ते रहना।

झुकना मत।

चपला चमके आँधी आये,

घनघोर घटा नभ छा जाये,

हो काली रात अंधेरी भी,

सागर में धरा समा जाये,

दीपक सा जलते रहना ,

बुझना मत ।

बन सजग देश के प्रहरी तुम,

रख लक्ष्य साधना गहरी तुम,

नील गगन में चमक उठो,

बनकर चमक सुनहरी तुम,

निज सपनों को गढ़ते रहना,

रुकना मत।

अजय शर्मा " अज्ञात "

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Kumar Sharma on October 22, 2015 at 1:15pm

आप समस्त आदरणीय कवियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 22, 2015 at 9:02am

आदरणीय अजय जी, सकरात्मक ऊर्जा से लबरेज सुन्दर रचना हुई है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर.

Comment by kanta roy on October 21, 2015 at 11:44pm

चलते रहना रुकना मत।
पथ चाहे हो पथरीला ,
पर्वत हो चाहे टीला ,
सघन समूचा जंगल हो ,
गूढ़ समुंदर हो नीला ,
वीरों सा बढ़ते रहना।---- आत्मबल को सम्बल देती हुई ये रचना बहुत ही सार्थक बानी है। बधाई आपको आदरणीय अजय कुमार जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 21, 2015 at 3:49pm

आदरणीय अजय जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे (दिल दिया, देकर उसे लाचार भी करते रहे, दिल देने वाला ही लाचार…"
14 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"😂😂😂😂 जी ये भी सही कह रहें हैं आप। सौरभ जी आपका इंतज़ार है। 😁😁 ख़ैर तूफ़ान पर ये शेर देखें: आसाँ नहीं…"
31 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शेर से यह ध्वनित नहीं हाे रहा है कि सभी देवता या कोई देवता विशेष का आचार विचार हमेशा ही व्यभिचार का…"
39 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके अनुभव को विचार में लेते हुए आपकी ग़ज़ल को एक अन्य दृष्टिकोण से देख रहा हूँ मैं और आपके शेर में…"
48 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सर जी, Don't shoot the Messenger  सादर"
58 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, ज़मीन पर आँधी आती है। तूफ़ान समुंदर में आते हैं। यह बात मुझे 10 साल पहले समर सर ने समझाई…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नीलेश जी आप शायद मुझे 5-6 साल से इन मंच पर देख रहे होंगें। मेरी भी आदत किसी बात को व्यक्तिगत रूप से…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. ऋचा जी"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. गजेन्द्र जी"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश जी, विस्तृत व्याख्या के मलते में नेता मिल के भ्रष्टाचार करते हैं लेकिन असल में ऐसा…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी मेरी किसी टिप्पणी में कोई तंज़ नहीं है। आपके मिथ्या आरोप मेरी भावनाएं अवश्य आहत कर रहे…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजेय जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सुधार किए हैं  सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service