कैसे दिल को सम्हालूं मैं बाज़ार में,
उनसे खुद का दुपट्टा सम्हलता नहीं,
राख करती मुझे मेरे दिल की तपिश,
उनका दिल भी कभी क्यों पिघलता नहीं ,
आज की शाम ऐसे कभी भी न थी,
पहले बदनाम ऐसे कभी भी न थी,
ख्वाब हम ने हजारों हैं पाले मगर,
उनके दिल में कोई ख्वाब पलता नहीं,
कैसे दिल को....
दिल में गहरा समन्दर भी है प्यार…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on August 7, 2024 at 1:13pm — No Comments
Added by Ajay Kumar Sharma on August 10, 2018 at 10:27am — 12 Comments
इम्तहान के दिन में काहे ,
जमकर नींद सताये रे.
पुस्तक पर जब नजर पड़े ,
तो दुविधा से मन काँप उठे ,
काश,कहीं मिल जाती सुविधा, नइया पार कराये रे .
हर पन्ना पर्वत सा लागे ,
लगे पंक्तियां भी भारी ,
प्रश्नों की तलवार दुधारी ,
रह रह आँख दिखाये रे.
चार दिनों में होना ही है ,
दो दो हाथ पुस्तिका से ,
क्या लिक्खूंगा उत्तर उस पर ,
मन मेरा भरमाये रे…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on May 5, 2018 at 4:54pm — 3 Comments
बीत गई सर्दी , बीत गई ठंड रे ,
दिनभर लुआर बहे गर्मी प्रचंड रे ,
चार दिन की चाँदनी सा प्यारा बसंत था,
पसीने की बूंदों से भीगा अंग-अंग रे ,
स्वेटर,कमीज,कोट लिपटे कई असन वस्त्र,
छोड़छाड़ देह को हुए खंड-खंड रे ,
गर्मी की चुभन से हाल बेहाल हुआ ,
"अज्ञात" कैसे ! कैसे करे व्यंग रे .
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Ajay Kumar Sharma on February 3, 2018 at 10:30pm — 4 Comments
Added by Ajay Kumar Sharma on August 13, 2017 at 10:29am — 4 Comments
Added by Ajay Kumar Sharma on July 5, 2017 at 11:57pm — 6 Comments
21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष.....
प्रतिदिन योग करे जो कोई,
वो रोगों से दूर रहे,
तन मन में स्फूर्ती आये ,
चेहरे पेे चमकता नूर रहे,
जो सुबह सुबह भस्त्रिका करे,
और शुद्ध वायु तन मन में भरे,
जो करे नित्य प्रति शशकासन,
उत्साह से वो भरपूर रहे,
अनुलोम विलोम , कपालभाति,
सुखमय जीवन की थाती है,
ना उदर रोग ना तन मन में,
कोई पीड़ा रह पाती है,
रह खाली पेट करें योगा ,
बस इतना ध्यान जरूर रहे.
हो नाम देश का ऊँचा…
Added by Ajay Kumar Sharma on June 28, 2017 at 9:30pm — 2 Comments
राम कृष्ण की जन्मभूमि,
है कर्म-स्थली वीरों की,
भारत की पावन माटी सी,
होगी कहीं जमीन कहाँ ।
यूँ तो रंग अनेकों होंगे,
दुनिया में सब देशों के,
मगर तिरंगे के रंग जैसा,
होगा भी रंग तीन कहाँ।
शिरोधार्य कर माँ की…
Added by Ajay Kumar Sharma on December 6, 2015 at 1:36pm — 3 Comments
जिन्दगी में जीत का तब,
कुछ नहीं संशय रहा,
धैर्य का जब जब सहारा,
हर घड़ी , हरशय रहा ।
जिन्दगी में दिन सितम के,
भी सभी कट जायेंगे ।
जिन्दगी की ठोकरों ने ,
जब मुस्कुरा कर ये कहा।
रात काली भी गुजर…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 22, 2015 at 11:52am — 3 Comments
बढ़ती हुई महंगाई में हाल बुरा है,
कुछ पूछो तो कहते हैं, सवाल बुरा है।
पेट्रोल, डीजल, सब्जियां आकाश छू रहीं,
कम होने की उम्मीद का, खयाल बुरा है।
संसद में अमन चैन है, धमाल हो रहा,
जनता की रसोई में अब, बवाल बुरा है।
ठोकते हैं ताल, अपने राग में तल्लीन,
उठा पटक का इनका सब, चाल बुरा है।
दुश्मन हैं ये आपसी, दुनिया की नज़र में,
नेता की शकल में हर, दलाल बुरा है…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 20, 2015 at 9:05pm — No Comments
मौन रहकर साज भी,
हैं ध्वनित होते नहीं,
कुछ बोलने दे आज,
मन की बात कहने दे मुझे ।
है नहीं ख्वाहिश कि,
सुन्दर सा सरोवर मैं बनूँ,
धार हूँ नदिया की मैं,
मत रोक बहने दे मुझे । हर एक पल भी…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 19, 2015 at 8:08pm — 5 Comments
हाँ, कल एक समाचार ताजा देखा,
इंसानियत का जनाज़ा देखा,
आतंक की भाषा क्या,
परिभाषा क्या,
चीख, चीत्कार,
रक्त रंजित मानव शरीर ,
बिखरी मानवता,
ध्वस्त होते स्वप्न,
बिलखते नौनिहाल, कराहती ममता,
असहाय सुरक्षा एजेंसियां…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 15, 2015 at 2:00pm — 1 Comment
अंतर्मन के दीप जलाकर,
जग में उजियारा कर दो।
जले प्रेम का दीपक जगमग,
जगमग जग सारा कर दो।
शीतलता का घृत हो अनुपम,
अति सनेह का दीपक हो,
ज्ञान की बाती उल्लासित कर,
पुलकित मन प्यारा कर…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 11, 2015 at 7:56am — 1 Comment
पुरुष प्रधान देश में कोई,
'नर' नारी से बली नहीं ,
सदियों से है अब तक घर में,
दाल किसी की गली नहीं।
त्रेता युग में दशरथ जी ने ,
दुष्टों का संहार किया,
धर्म परायण रघुवंशी ने,
अपनी प्रजा से प्यार किया,
पर कैकेई के सम्मुख उनकी,
चाल एक भी चली…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 9, 2015 at 3:44pm — 1 Comment
क्षण कठिन हो या सरल,
एक समान में जियो,
भूल कर अतीत को,
वर्तमान में जियो।
हो सुखों की संपदा,
दु:ख का पहाड़ हो,
नेक नियति मानकर,
तुम गरल-सुधा पियो।
जीत है कभी तो,
कभी हार भी मिले,…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 7, 2015 at 5:46pm — No Comments
आँधियों के थपेड़े और,
गर्मी की तपिश ने,
उगते हुए पौधे की जड़ हिलाई,
वट वृक्ष की तब याद आई।
कर दिया क्यों दूर,
जिसने जन्म दे, पाला तुझे,
कर बड़ा काबिल बनाया,
सारी लगाकर पाई पाई ।
चलते हुए घुटनों के बल,
पहले पहल था जब…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 6, 2015 at 7:47pm — 2 Comments
जो लक्ष्य से भटका नहीं,
जो हार पर अटका नहीं,
जीत पक्की है उसी की,
राह में खटका नहीं।
लगन है अटूट जिसकी,
और है पक्का इरादा,
पास उस रणवीर के,
काल भी फटका नहीं।
मजबूत हैं जिसके…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 5, 2015 at 8:30pm — 6 Comments
बेकार हजारों कोशिश भी,
इन आँखों को समझाने की ,
रखती हैं समुंदर को वश में,
और धार बहाये रहती हैं।
जबकि है मालूम इन्हें,
वो दूर हैं नजरों से फिर भी,
नजरें दीवारों पर क्यों,
टकटकी लगाये रहती हैं।
है असर मुहब्बत का…
Added by Ajay Kumar Sharma on November 3, 2015 at 5:26pm — 2 Comments
लकीरें खींच कर सब लोग,
मुझसे पूछते हैं जब,
असम के हो ,या जम्मू के,
या राजस्थान के हो तुम ,
मैं कहता हूँ, वहाँ का हूँ,
जहाँ की, सोना है माटी,
जहाँ सौहार्द का मेला,
जहाँ की प्रेम परिपाटी ,
वो कहते हैं…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on November 1, 2015 at 3:54pm — 2 Comments
जब थी उठी बरसात से,
पहले पहल भीनी महक,
था मन तरंगित हो उठा,
सुन पक्षियों की चह चहक,
गुमशुदा, अब बाग से,
क्यों कली कोमल हो गयी।
बीते पलों को याद कर,
आँख, बोझल हो गयी।
पत्थरों की शगल में,
सड़क सौतन क्या…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 30, 2015 at 7:04pm — 3 Comments
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