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अज्ञात था अज्ञात हूँ अज्ञात रहने दे मुझे।

मौन रहकर साज भी,                            

हैं ध्वनित होते नहीं,                                    

कुछ बोलने दे आज,                                      

मन की बात कहने दे मुझे ।                  

है नहीं ख्वाहिश कि,                        

सुन्दर सा सरोवर मैं बनूँ,                           

धार हूँ नदिया की मैं,                             

मत रोक बहने दे मुझे ।                                                            हर एक पल भी खुशनुमा,                        

होता नहीं तकदीर में,                                

हौसलों के साथ में,                                         

कुछ गम भी सहने दे मुझे ।                   

चाह इतनी भी नहीं,                             

सब लोग पहचाने मुझे,                          

अज्ञात था,अज्ञात हूँ,                           

अज्ञात रहने दे मुझे ।                             

तू मेरा आधार है बस,                                               

तू ही मेरा हमसफ़र,                                   

मत छोड़ मेरा हाथ,                                  

अपने साथ रहने दे मुझे।                          
अजय शर्मा  " अज्ञात  "

मौलिक एवं अप्रकाशित।

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Comment by pratibha pande on November 24, 2015 at 12:55pm

बहुत सुन्दर रचना आदरणीय अजय जी हृदय तलसे बधाई स्वीकार करें 

Comment by Ajay Kumar Sharma on November 20, 2015 at 9:12pm

आप सभी सम्मानित विद्वत् जनों को हार्दिक धन्यवाद। आप सभी से मार्गदर्शन का आकांक्षी अज्ञात अति लघु कवि।।

Comment by Rahila on November 20, 2015 at 11:52am
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय अजय सर जी! बहुत बधाई आपको । सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 20, 2015 at 7:49am

आदरणीय , अजय भाई , बहुत सुनदर भाव लगे आपके गीत के , लाजवाब । हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 19, 2015 at 10:02pm
उम्दा रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय

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