वे दिन भी भले थे
ये साँझ भी है भली
वे दिन भी भले थे
ये साँझ भी है भली
सुख सपने सब खिल रहे थे
वे दिन भी भले थे
ये साँझ भी है भली
वे दिन भी भले थे
ये साँझ भी है भली
Comment
वाह आदरणीया कांता रॉय जी सुंदर भावपूर्ण रचना बन पड़ी है। हाँ ,लेकिन क्षमा सहित प्रथम 'विरानी' अक्षरी त्रुटि है , (वीरानी),द्वितीय - वे दिन भी भले थे के साथ ये दिन भी भली .... 'दिन 'पुल्लिंग होने के कारण या तो भली को भला करना सही होगा दिन के स्थान पर साँझ /संध्या करना उचित होगा। शेष रचनाकार प्रस्तुति को अधिक उचित जानता है। कृपया किसी बात को अन्यथा न लेवें। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
रचना बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण हैं परन्तु अगर..., हिल रहे थे मिल रहे थे.....सुख सपने पल रहे थे....कि जगह (हिल रहे थे मिल रहे थे.....,सुख सपने सब खिल रहे थे) होता तो शायद और बेहतर रंग आता..।।
सादर।
आदरणीय कांता जी बहुत भाव पूर्ण रचना है , अगर आप इसे ऐसे कर दें 'वे दिन भी भले थे ,ये सांझ भी भली ' सांझ शब्द भली के साथ सही है सादर
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