मात्र इक भाषा नहीं है,
राष्ट्र की पहचान -हिन्दी।
सभ्यता की नींव है,
साहित्य की धनवान -हिन्दी।
सर्वव्यापक सरल सुन्दर,
सर्वगुण सम्पन्न है,
ज्ञान का विस्तीर्ण साधन,
सद्गुणों की खान -हिन्दी ।
व्यक्ति का व्यक्तित्व है,
प्रतिबिंब है अभिव्यक्ति का,
उपयोग,सूचक शक्ति का,
मान और सम्मान -हिन्दी।
गुरुमुखी श्रीग्रंथ साहिब ,
नित्य शाश्वत वेद है,
काव्य की निर्मल विधा,
"अज्ञात" गीता ज्ञान -हिन्दी।
कवि की कोमल कल्पना है,
सावनी मल्हार है,
कूक कोयल की मधुर है,
कर्ण प्रिय सुर-तान- हिन्दी।
क्यों आज विस्मृत हो रही,
भाषा पुरातन काल की,
क्यों दुर्दशा से ग्रसित है,
क्यों सह रही अपमान -हिन्दी।
भारत के मानुष आज लो प्रण,
साख हो जीवित पुन:,
विश्व में छा जाये तिरंगा,
कर रही आह्वान -हिन्दी।।
अजय शर्मा " अज्ञात "
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
कान्ता जी कोटिशः धन्यवाद।
मात्र इक भाषा नहीं है,
राष्ट्र की पहचान -हिन्दी।
सभ्यता की नींव है,
साहित्य की धनवान -हिन्दी।---वाह !!! शब्द -शब्द हिंदी की शान में बहुत खूब गढ़ गए है ये काव्यान्जलि आदरांजलि ,श्रद्धांजलि। अद्भुत , बधाई आपको इस अनुपम कृति के लिए आदरणीय अजय जी ।
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