For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन की आपाधापी में,

जीवन की आपाधापी में,                     

दिन बचपन के भूल गये,                    

परिवर्तित हो गयी हवायें,                       

मौसम भी प्रतिकूल भये।
वो शाम सुहानी,मित्रों के दल,                   

और किनारा नदियों का,                       

कूद, कबड्डी,गुल्ली डंडा,                          

झर झर झरना सदियों का,                     

खेत और खलिहान की रंगत,                      

लदी डाल  में अमियों का,            

मानचित्र बनता है मन में,                        

धूल-धूसरित गलियों का,                    

भौतिकता  के मैराथन में,                       

हम इतने मशगूल भये। जीवन---
बाबू जी की उंगली थामे,                      

ढलती शाम की बेला में,                          

चल पड़ते थे खुशी-खुशी हम,          

अपने गाँव के मेला में,                          

पानी-पूरी,चाट,मुगौरी,                          

और खसता के चटकारे,                          

बाँसुरी,पिपिहरी,शीटी भी,                        

और हवा के गुब्बारे,                  

मेघनाद,रावण के पुतले,                        

लगते थे कितने प्यारे ,                      

जीत राम की होती थी,                         

और हर्षित होते थे सारे,                       

वो कल बदला,वो पल बदला,                      

अब सब विचार निर्मूल भये।जीवन----
खुले गगन में दादी के संग,                  

गर्मी की उन रातों में,                             

उड़ता था मन मतवाला हो ,                      

मीठी-मीठी बातों में,                        

राजा रानी और परियों के,                       

किस्से अब क्यों भूल गये ।  जीवन----
अजय शर्मा "अज्ञात "

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:21am

आदरणीय अजय भाई , गाँव मे बिते बचपन की यादें ताज़ा हो गईं , बहुत सुन्दर !! आपको कविता के लिये हार्दिक बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:53pm

आदरणीय अजय जी इस प्रस्तुति में यादों को बहुत बढ़िया शब्द मिले है. बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 27, 2015 at 9:12pm

गाँव की बीती बाते बीता बचपन ताउम्र याद रहता है उन खूबसूरत यादों को शब्दों का जामा पहनाकर बहुत सुन्दर कविता रची है है आपने अजय जी ,बहुत- बहुत बधाई 

Comment by Ajay Kumar Sharma on October 26, 2015 at 10:01pm

आप समस्त महानुभावों का हृदय से आभार।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 26, 2015 at 8:21pm
सुंदर सटीक शब्दों के साथ यादों की सैर कराने के लिए बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय अजय कुमार शर्मा 'अज्ञात' जी।
Comment by pratibha pande on October 26, 2015 at 7:12pm

अब सब विचार निर्मूल भये।जीवन----
खुले गगन में दादी के संग,                  

गर्मी की उन रातों में,                             

उड़ता था मन मतवाला हो ,                      

मीठी-मीठी बातों में,                        

राजा रानी और परियों के,                       

किस्से अब क्यों भूल गये........सच में इस वातानूकूलित  जनरेशन के लिए तो  गर्मियों में छत पर सोना एक दन्त कथा सा है , धन्यवाद आपका कुछ खुशनुमा यादों को फिर से जीवंत  करने के लिए आदरणीय अजयजी .  

Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 5:39pm

बहुत ही मीठी -मीठी यादों से भरी ये रचना हुई है आदरणीय अजय शर्मा "अज्ञात "जी। यादों का सफर ऐसा ही होता है।  बधाई 

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 4:09pm
बहुत ही सुन्दर चित्रण आद. अजय शर्मा जी ।गांव की सौंधी खुशबू में रची बसी आपकी इस रचना के लिये बहुत बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service