For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मीर के जैसी गज़लें कहना सबके बस की बात नही।

हाले गमे तन्हाई लिखना सबके बस की बात नही।
दीवानो सी बातें करना सबके बस की बात नही।

दोस्ती यारी सब करते हैं आज भी इन्सां दुनिया में
कृष्ण सुदामा जैसी निभाना सबके बस की बात नही।

हँसते बच्चों को तो रुलाना होता हैं आसान यहाँ
रोते को है आज हँसाना सबके बस की बात नही।

हमने लिखा है नाम तुम्हारा दिल के लहू से कागज़ पर
कैसे कहें हम इसको मिटाना सबके बस की बात नही।

दो मिसरों को जोड़ के हमने गज़लें तो कह डाली हैं
मीर के जैसी गज़लें कहना सबके बस की बात नही।

प्यारी प्यारी बातें करना होता है आसाँ "रिज़वान"
तकलीफों में हाथ बढ़ाना सबके बस की बात नही।

* रिज़वान खैराबादी *

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 606

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on December 28, 2015 at 1:14pm
.
Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on December 26, 2015 at 1:30am
शुक्रिया हौसला अफज़ाई के लिये जनाब शिज्जू जी!
Comment by Ravi Shukla on November 2, 2015 at 3:23pm

आदरणीय रिजवान जी बहुत बढि़या ग़ज़ल कही है आपने । निवेदन है कि ग़ज़ल पोस्‍ट करने से पहले उसका अरकान या वज्न लिख दिया करें जिससे सभी पाठकों को आसानी हो ।

दो मिसरों को जोड़ के हमने गज़लें तो कह डाली हैं
मीर के जैसी गज़लें कहना सबके बस की बात नही।  वाकई दो मिसरों में अरकान के अनुसार लफ्ज फिट कर देना ही शेर नहीं होता बहुत बहुत बधाई आपको इस ग़ज़ल के लिये ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 2, 2015 at 1:02pm
दर्द छिपा कर हँसते रहना सब के बस की बात नही ......
Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on November 1, 2015 at 8:13pm
शुक्रिया आo शिज्जु जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 1, 2015 at 7:44pm
बहुत बढ़िया रिज़वान जी बधाइयाँ आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service