For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोहब्बत की जो दिल में बहार रखते हैं

सुकून रखते है हर पल क़रार रखते हैं
मोहब्बत की जो दिल में बहार रखते हैं।।

वो आयेगा तो बहारें भी साथ लायेगा
उसी के आने का हम इन्तज़ार रखते हैं।।

कहाँ-कहाँ से मिले ज़िन्दगी की राहों में
हम अपने ज़ख्मों का खुद ही शुमार रखते हैं।।

कफ़न भी बांध के हमराह अपने सारे जवाँ
जो सरहदों पे हैं आँखें भी चार रखते हैं।।

यही है फितरते इन्सां तो इसको क्या कहिये
सब अपने-अपने लहू से ही प्यार रखते हैं।।

तालुक़ात कहाँ तक निभायें हम उनसे
जो अपने हो के हमें शर्मशार रखते हैं।।

पढ़ो तो गौर से रोशन हो आईना दिल का
वरक़ हयात के हम शानदार रखते हैं।

लुटा दी उनके लिए ज़िन्दगी की सारी ख़ुशी
वो है कि ग़ैरों में मेरा शुमार रखते हैं।।

मिला है दिल कुछ ऐसा की हर घड़ी 'रिज़वान'
हम अपने दोस्तों पे जाँ निसार रखते हैं।।

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on February 3, 2016 at 10:32pm
शुक्रिया आ० लक्ष्मन जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:18am

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on February 2, 2016 at 10:58am
हौसला अफज़ाई के लिये शुक्रिया आदरणीय!!
Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 1:32am

आदरणीय रिजवान साहब बहुत सुन्दर रचना .. लुटा दी उनके लिए ज़िन्दगी की सारी ख़ुशी

वो है कि ग़ैरों में मेरा शुमार रखते हैं..वाह ! हार्दिक बधाई आपको ! सादर 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2016 at 11:14pm
जनाब रिज़वान जी,आदाब,अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,मुबारकबाद क़ुबूल करें,ग़ज़ल के अरकान नहीं लिखे हैं आपने ?
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2016 at 9:41pm
बहुत ख़ूब।
Comment by Ravi Shukla on February 1, 2016 at 1:18pm

आदरणीय रिजवान जी  बढि़या ग़ज़ल कही ह आपने बधाई स्‍वीकार करें । ग़ज़ल से पहले उसका अरकान या बह्र लिख देने का निवेदन है

समझने में आसानी रहती है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service