सब उसे पागल कहते थे, लेकिन एक बुद्धिजीवी का दिमाग उसे पागल नहीं मानता था|
आज उस बुद्धिजीवी ने देखा कि वो एक मंदिर में गया, वहां नमाज़ पढ़ी|
फिर एक गुरूद्वारे में गया और वहां कैरोल गाया|
और एक गिरजे में गया और आरती की|
फिर एक मस्जिद में गया और वहाँ अरदास की|
आखिर में अपनी जगह पर जाकर बहुत रोया,
बुद्धिजीवी ने कारण पूछा तो उसके उत्तर में भी एक प्रश्न था, "हर धार्मिक-स्थल पर दान दिया था| वो बिकता तो है, लेकिन मिलता कहाँ है?"
बुद्धिजीवी समझ गया वो पागल ही था|
(मौलिक व अप्रकाशित)
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