For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिकाऊ प्रार्थना - लघुकथा

सब उसे पागल कहते थे, लेकिन एक बुद्धिजीवी का दिमाग उसे पागल नहीं मानता था|
आज उस बुद्धिजीवी ने देखा कि वो एक मंदिर में गया, वहां नमाज़ पढ़ी|
फिर एक गुरूद्वारे में गया और वहां कैरोल गाया|
और एक गिरजे में गया और आरती की|
फिर एक मस्जिद में गया और वहाँ अरदास की|
आखिर में अपनी जगह पर जाकर बहुत रोया,
बुद्धिजीवी ने कारण पूछा तो उसके उत्तर में भी एक प्रश्न था, "हर धार्मिक-स्थल पर दान दिया था| वो बिकता तो है, लेकिन मिलता कहाँ है?"
बुद्धिजीवी समझ गया वो पागल ही था|

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 19, 2015 at 6:50pm

रचना  को  पसंद करने  और  अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा मनोबल  बढाने  हेतु हार्दिक आभार  आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani जी  साहब  और  आदरणीया  Nita Kasar जी |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 12, 2015 at 10:36pm
सर, इस बार और भी गहरी हो गई। तीन बार पढ़ ली। शीर्षक ने कथा का अंत समझने में सहायता की। प्रायोगिक दर्शनशास्त्र व प्रायोगिक मनोविज्ञान के उत्कृष्ट सम्मिश्रण से युक्त समसामयिक सार्थक भाव पूर्ण कृति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय चन्द्रेश कुमार छतलानी जी। "दिल मांगे और"
Comment by Nita Kasar on December 12, 2015 at 9:29pm
बुद्धिजीवी उसे पागल नही मानता उसने जो देखा तो वह उसे सांप्रदायिक सद्भाव का पुजारी नजर आया वह अपनी जगह पर आकर रोया कि उसे पागल समझने वाले लोग क्या हर धर्म को सम्मान देते है?जो प्रश्न उसने पूछा कोई पागल नही पूछ सकता ।पर जब लोग मानते बातों बुद्धिजीवी ने उसे पागल समझा ।वाकई आज प्रार्थना बिकाऊ हो गई ।दार्शनिक अंदाज से भरपूर कथा के लिये बधाई आद०चन्द्रेश जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service