For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास क्रिसमस की छुट्टियों में आये पोता पोती ,दादी जी के लाड प्यार में पूरे घर में धमा चौकडी मचाये रखते हैं ।इस बार दादी को फेसबुक और इंटरनेट का पाठ याद करा दिया । आज न जाने क्या सूझी दादी को दोनों को लेकर रसोई में पहुंच गई ।सभी दालें दिखाई पर सिर्फ चना और राजमा पहचान पाये ,दादी ने सभी अनाजों की पहचान कराई ,नया पाठ था बच्चों को , जल्दी सीख गए । "बेटा सचिन कुकर उठाओ ,इसका ढक्कन लगाओ ।" "दादी यह तो लग ही नहीं रहा ।" "देखो बेटा यह गास्केट है ,यह सेफ्टी वाल्व है ,तुम्हें यह तो मालूम है कि कुकर किस काम में आता है ।" "हाँ दादी कुकर में भाप के प्रेशर से खाना जल्दी पकता है। " "ये गास्केट भाप को बाहर नहीं निकलने देता,बहुत ज्यादा हो जाय तो सेफ्टी वाल्व को पिघला कर निकल जाती है ।" "ठीक है ,अब ऐसे करो ,अब ढक्कन लगाना सीख गए ।" "हाँ दादी" "कुकर में भाप बनने के लिए दो ग्लास पानी डालो ,नीचे के डिब्बे में दाल रखो,उपर में चावल ,चावल के बराबर पानी होना चाहिये, हाँ अब गैस चालू करो ,धीमी आँच पर गर्म होने दो ,एक सीटी के बाद फ्लैम तेज करो और दो सीटी ले लो ।" "अच्छा दादी अब खोलो मैंने दाल ,चावल बनाया ।" "अभी नहीं बेटा इसे ठंडा होने दो ।" "दादी मुझे नहीं सिखाया ",पांच साल की पूजा बोल उठी । "तुम सब ध्यान से देख रही थी न ।" "हाँ दादी ।" "माँ जी ,क्या हो रहा आज किचिन में,इन शरारतियो के साथ।" " बहू आज सचिन को कुकर लगाना सिखाया ,लडकों को किचिन का काम आना चाहिए ,लड़कियाँ तो देखते देखते सीख जाती हैं ।" लडके तो सोचते हैं ,ये उनका काम ही नहीं है ।उन्हें लोहे की जाली तो तोडनी ही पडेगी । तभी तो अहसास होगा,हाथ जलने की पीडा का ।

मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Jain on January 14, 2016 at 10:20pm

आदरणीय उस्मानी जी, RahiLa jee,Nita जी आभार कथा की समीक्षा प्रप्रशंसा हेतु।

Comment by Nita Kasar on December 29, 2015 at 1:26pm
अमूमन यही सिखाया जाता है बेटी को पर बेटे को भी सिखाना ज़रूरी है जिससे कि वह बीवी के दिल में जगह बना सके।उसे भी सिखाना आवश्यक है बेहद सारगर्भित व प्रेरक कथा के लिये बधाई आपको आद०पवन जैन जी ।
Comment by Rahila on December 27, 2015 at 9:18pm
पहली बार इस विषय पर एक सार्थक रचना पढ़ी, सच बहुत अच्छी अनुभूति हुई ।बहुत बधाई आपको सार्थक शिक्षा देती कृति के लिये । सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 26, 2015 at 1:08am
वााााह आदरणीय पवन जैन जी । बड़ी सुखद अनुभूति हुई इस उम्दा उत्कृष्ट रचना को पढ़कर। हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service