For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बगावत

बगावत की है कलम ने
उसे भी अब आरक्षण चाहिए-
कुछ भी लिख दे
पुस्तकाकार में छपना चाहिए!
मैं अड़ गया अपना ईमान लेकर
तो
कलम ने अट्टहास किया,
तोड़ा, मरोड़ा, उखाड़ फेंका
उन शब्दों की पटरी को
जिन पर भूले-भटके
मेरी कल्पना की रेलगाड़ी
कभी-कभी खिसकती महसूस होती थी
और मैं बंद खिड़की के भीतर से
अनायास देखता रहता था पीछे सरकते
लहलहाते हुए, सूखाग्रस्त या
बाढ़ के गंदे पानी में डूबते उतराते
साहित्य के नए-पुराने खेतों को,
एक अनजान सफर में जाते हुए.
पर,
अब सब कुछ ठहरा हुआ है
क्योंकि किसी ने आरक्षण माँगा है.
कलम अपने वश में नहीं
मैं सोच रहा हूँ
वह इतना शुष्क,
संवेदनहीन कैसे हो गया
कि अंदर की चिनगारी से
इतनी बड़ी आग लगा दी!
स्तब्ध कर दिया
जन-जीवन की धारा को
बस एक अर्थहीन, तर्कहीन आरक्षण के लिए –
आज कुछ साँसें थम जाने के बाद
पता चला है
कि पटरियों की मरम्मत शुरू की गयी है.
शायद कल्पना की रेलगाड़ी
फिर से चल पड़े -
क्रमश: अदृश्य होते खेतों में
कौन सी फसल उगायी जा रही है
मैं कह नहीं सकता-
लेकिन आप सब निश्चिंत रहें
मैंने अपनी कलम को समझा दिया है
‘ऐसे भिखमंगे की तरह
हाथ मत फैलाया करो,
तुम्हें
मुझसे कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.'
(मौलिक व अप्रकाशित रचना) ------शरदिंदु/लखनऊ/25.02.2016

Views: 325

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 26, 2016 at 9:29pm

लेकिन आप सब निश्चिंत रहें
मैंने अपनी कलम को समझा दिया है
‘ऐसे भिखमंगे की तरह
हाथ मत फैलाया करो,
तुम्हें
मुझसे कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.'-------vaahvaah dadaa shree

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service