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ग़ज़ल ( आसरा ढूंढने किधर जाए )

2122 1212 22

उनकी नज़रों से जो उतर जाए |

आसरा ढूंढ़ने  किधर  जाए |

कर लिया है यक़ीन उनपे मगर

डर  है यह भी न वो मुकर जाए |

जो ज़ुबां कर न  पाए उल्फ़त में

आँख चुप चाप उसको कर जाए |

भीड़ आए नज़र क़ियामत सी

शोख़ उनकी नज़र जिधर जाए |

मिल गया जब खिताबे दीवाना

उनके कूचे से कौन घर जाए |

जिसके घर का पता नहीं कोई

कैसे उस तक कोई ख़बर जाए |

दिन में तस्दीक़ आए रात नज़र

ज़ुल्फ़ उनकी अगर बिखर जाए |

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 7:22pm

मोहतरम  जनाब विजय   साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 7:22pm

मोहतरम  जनाब रवि शुक्ल   साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 7:21pm

 जनाब धर्मेन्द्र कुमार  साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी 

Comment by vijay nikore on April 24, 2016 at 4:06pm

 इस खूबसूरत गज़ल के लिए बहुत सारी बधाई

Comment by Ravi Shukla on April 24, 2016 at 3:42pm
आदरणीय तस्दीक अहमद जी बढ़िया अशआर कहे है आपने दाद ओ मुबारक बाद हाज़िर है । खास बात ये है कि ओ बी ओ के 70 वें तरही मुशायरे के काफ़िया रदीफ़ को दूसरी बह्र में लेकर आपने अच्छे शेर कहें है। पुनः बधाई ।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 24, 2016 at 2:11pm

अच्छे अश’आर हुए हैं तस्दीक जी, दाद कुबूल करें

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 1:37pm

जनाब आशुतोष मिश्र साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 1:35pm
जनाब आशुतोष मिश्र साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2016 at 11:11am

भाई तस्दीक जी इस शानदार ग़ज़ल पर ढेर सारी शुभकामनायें सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2016 at 11:01am

जो ज़ुबां कर न  पाए उल्फ़त में

आँख चुप चाप उसको कर जाए |  waah इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय 

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