अरकान - 2122 2122 2122 212
दिल लगाकर दिल चुराना कोई सीखे आपसे|
तौर ये सदियों पुराना कोई सीखे आपसे|
कल सुबह नज़रें मिली औ शाम को ही गुफ्तगू,
रात को सपनों में आना कोई सीखे आपसे|
आपकी मख्मूर आँखें गोया मय के जाम हैं,
ये अदाएँ कातिलाना कोई सीखे आपसे|
सैंकड़ो उल्फ़त में अबतक बन गए हैं आशना,
इश्क में पागल बनाना कोई सीखे आपसे|
पीठ पीछे प्यार का इकरार करते हैं मगर,
सामने नज़रें चुराना कोई सीखे आपसे|
दिल में कोई गम है लेकिन होठ पर मुस्कान है,
राजेदिल को यूं छुपाना कोई सीखे आपसे|
मौलिक व अप्रकाशित
बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’
Comment
आदरणीय कबीर साहेब ...............ममनून हूँ आपका
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