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आदरणीय सुरेश जी सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
आदरणीय सुरेश भाई , गज़ल कहने का प्रयास अच्छा हुआ है , बधाई आपको । मंच पर उपलब्ध , 'ग़ज़ल की बातें' के पाठों का अध्ययन करें अगर ग़ज़ल कहने की इच्छा हो तो और प्रयास जारी रखें ।
// मैं गजल के बारे में कुछ भी नहीं जानता। बस जो दिल में आता है उसे शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूं और जो बन जाता है उसे ही प्रेषित कर देता हूँ //
ऐसा नहीं है, आप कमसे कम काफ़िया और रदीफ़ के बर्ताव से बहुत कुछ परिचित हैं. आपकी परेशानी पंक्तियों (मिसरों) को सही ढंग से रखने को लेकर है. जिसे पंक्तियों को बहर में साधना कहते हैं. इसे ही जाँचने को तक्तीह करना कहते हैं. जो कि मैं और आदरणीय समर भाई आपसे पूछ रहे थे.
आप ऐसे मंच पर हैं जहाँ ग़ज़ल की विधा को लेकर बहुत से आलेख उपलब्ध हैं. आप उन आलेखों का एक-एक कर मनोयोगसे अध्ययन करें. आप यदि संयत ढंग से प्रयास करें तो आपको बहुत सफलता मिलेगी. उसके बाद इस मंचपर आदरणीय समर कबीर साहब जैसे कई गुणीजन हैं जो आपके उचित प्रश्नों का समुचित उत्तर दे सकते हैं. फिर सारा कुछ आपके पक्ष में होता जायेगा. लेकिन बातवही है, आप कितना तैयार हैं और आप कितनी मेहनत करना चाहते हैं.
शुभेच्छाएँ
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