न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
निकलता अासमा में चॉंद, धरती पे नही निकले
तुम्हारी याद ऐसी है कि ये दिल से नहीं निकले
हजारो है यहॉं लेकिन न कोई मीत तुम जैसा
मगर सब पूछता खुद से, बता वो मीत था कैसा
पुकारू मैं किसे बोलो, रहूँ तन्हा परेशा जब
न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
मुझे है चॉंद से नफरत, हवा उसको उडा ले जा
न धरती पे रहे अब फूल, जरा ये बददुआ दे जा
किताबो में लिखा किसने, खुशी बस प्यार में मिलती
नहीं हैं प्यार जीवन में,खुशी कोई नहीं खिलती
दिलाये याद जो तेरी, मिटा दूँगा निशानी सब
न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
निशा है जख्म के दिल पे, नहीं मुझको मिटाना है
किसी को पास अब अपने नहीं मुझको बुलाना है
मिटा तो जिन्दगी सकता नही सपने मिटा दूगॉं
तुम्हारे याद में तडपा अगर दिल तो जला दूगॉं
मुझे पहचानना तुम मत कभी,गुजरी बगल से जब
न जाने याद क्यों आती, मुझे बीती दिनो की अब।
बता दो बेवफा इतना, तड़प मेरी मिटेगी कब।
अखंड गहमरी, गहमर गाजीपुर उत्तर प्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित
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