For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इश्क है ये मस्त खुशबू का कोई झोंका नहीं

२१२२  २१२२  २१२२  २१२

इक दफा ये मर्ज लग जाये तो छुटकारा नहीं  

इश्क है ये मस्त खुशबू का कोई झोंका नहीं 

यार तुमने जिन्दगी को गौर से देखा नहीं  

दरमियाँ मेरे तुम्हारे लक्ष्मनी  रेखा नहीं 

तपती साँसों की तपिश कुछ सच बयानी कर रही 

धड़कने कहती हैंं दिल की प्‍यार है धोखा नहीं 

इश्क का अहसास कैसे ज़िंदगी में आ गया 

शेख जी कुछ राय देंगे मैंने कुछ सोचा नहीं 

इश्क है रब की इबादत राज गहरा जान लो 

देख लो माली ने भंवरे को कभी टोंका नहीं है 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on June 20, 2016 at 5:02pm

आदरणीय आशुतोष जी आपके अाखिरी शेर के भाव समझ तो आ रहेे थे उसका आपने संशोधन भी किया हैै । आपका आशय यह है कि इश्‍क खुदा की देन है एक इबादत है इसीलिये तो माली ने भवरे और कली के शुद्ध प्रेम को देख कर उसे रोका टाेका नहीं 

आपके इसी भाव को यथावत रखते हुए एक त्‍वरित सुझाव इस तरह भी हो सकता है 

इश्क है रब की इबादत राज गहरा जान लो 

देख लो माली ने भंवरे को कभी रोका / टोका नहीं 

घड़कने दिल में इ जाफत का आभास हो रहा था जिसका इशारा आदरणीय गिरिराज जी ने किया था दो भिन्‍न भाषा के श्‍ाब्‍द की इजाफत मान्‍य नहीं है इस लिये शायद गिरिराज जी ने कहा था 

इसके लिये भी एक त्‍वरित सुझाव है 

तपती सांसों की तपिश क्‍या रूह से उठती नहीं 

धड़कने कहती हैंं दिल की प्‍यार है धोखा नहीं   आप के भाव के अनुरूप जो सही लगे उसी को रखें शेर में शायर की वैचारिक स्‍वतंत्रता के हम सदैव पक्षधर है । ये तो सोच को एक दिशा देने के लिये सुझाव मात्र है । सादर हमारे कहे को मान देने के लिये 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 20, 2016 at 4:15pm
आदरणीय गिरिराज भाई साब आपके और आदरनीय रवि सर केमार्गदर्शन के अनुरूप परिवर्तन के फिर से ग़ज़ल दरख रहा हूँ धड़क1ने दिल की जगह दिल की धड़कन से लक्षमण की जगह लक्षमनी रखने की सोच रहा था किन्तु इस शब्द से आस्वस्त नहीं हूँ आपका परामर्श चहोए इसके अतिरिक्त उडी अंतिम शेर को इस तरह किया जाये जब भवर कलियो से मिलते माली ने रोका नही इश्क़ को माने इबादत इसलिए टोंका नहीं आप बिवतजनो का परामर्श मिलने पर खामियों को और समजने में मदद मिलेगी भाई साब आपकी मैग्दर्शन प्ततिक्रिया के लिए ह्रदय आभारी हूँ सादर प्रणाम के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 20, 2016 at 11:25am

आदरणीय आशुतोष भाई , गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
1-- दरमियाँ मेरे तुम्हारे लक्ष्मण रेखा नहीं    --- मिसरा बे बहर है

2--

धड़कने दिल कह रही उल्फत है ये धोखा नहीं -- धड़कने दिल  -- ऐसा लग रहा है जैसे इजाफत लागया हो ,  धड़्कन हिन्दी शब्द है ।

3-- अंतिम शेर बात कह नही पा रहा है , देख लीजियेगा ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 17, 2016 at 10:09am

आदरणीय रवि सर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे बेहद खुशी हो रही है ..आदरणीय सर मैं इस् पर फिर चिंतन करूंगा .इश्क को  इबादत सा मानने के कारन खलल न हो ऐसा सोचा था और इसी बात को ध्यान में रखकर कभी माली ने भ्रमर को रोका टोका नहीं ..आप थोडा खुल कर परामर्श देंगे तो मुझ जैसे कई सीखने वालों को फायदा होगा ..सादर नमन के साथ 

Comment by Ravi Shukla on June 16, 2016 at 5:40pm

आदरणीय डा आशुतोष जी बढि़या गजल कही है अापने बधाई स्‍वीकार करे आखिरी शेर के सानी मिसरे में कुछ अनकहा सा रह गया है बात साफ साफ नहीं आ पा रही है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service