For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा छ्न्द......प्रतिपल अच्छा देखिए

प्रतिपल अच्छा देखिए

आंंख चुरा कर घूमते, मिला न पाए आंख.

आखों के तारे मगर, बिखरे जैसे पांख.1

आसमान से बात कर, मत अम्बर पर थूंक.

कण्ठ-हार बन कर चमक, अवसर पर मत चूक.2

प्रतिपल अच्छा देखिए, अच्छे में उत्साह.

बालमीकि - रैदास भी, हुए ब्रह्म के शाह.3

अच्छे दिन की सोच में, बुरी नहीं यदि सोच.

दीन-हीन के दु:ख भी दूर करें  बिन खोंच.4

संसारिक उद्देश्य ने, रिश्ते गढ़े कुलीन.

व्यवहारिक संताप में, मानव करे मलीन.5

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 11, 2016 at 5:43pm

आ0 सुधिजनो,  सादर प्रणाम!  यदि आप लोग अच्छी रचनाओ पर भी अपने अपने विचार दे, तो शायद इन बाढ़ सी रचनाओ पर काबू पाया जा सकता है।  आप सभी महानुभावो का तहेदिल से आभार।। सादर

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on August 11, 2016 at 11:11am

प्रतिपल अच्छा देखिए, अच्छे में उत्साह.

बालमीकि - रैदास भी, हुए ब्रह्म के शाह

जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखना आवश्यक है।

Comment by Sushil Sarna on July 14, 2016 at 3:15pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सुंदर भाव युक्त दोहों के लिए हार्दिक बधाई। आदरणीय द्वितीय दोहे के प्रथम  सम चरणान्त में मेरे विचार से ''थूंक '' के स्थान पर ''थूक '' होना चाहिए. चतुर्थ दोहे के द्वितीय सम चरणान्त में ''खोंच'' शब्द समझ नहीं आया शायद आपका तात्पर्य ''खरोंच'' से था। पांचवें दोहे प्रथम आदि चरण में मेरे विचार में ''संसारिक '' शब्द ''सांसारिक'' होना चाहिए। कृपया इसे अन्यथा न लेवें। यदि कहीं त्रुटि हो तो कृपया मार्ग दर्शन करें। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2016 at 5:14pm
आदरणीय केवल प्रसाद सर आपकी कोशिशों के लिये बधाई, कुछ शब्दों को लेकर मैं उलझन मे हूँ, यथा सही शब्द संसारिक है या सांसारिक, दूसरे दोहे के निहितार्थ को समझ नहीं पाया, खोंच शब्द का अर्थ भी बता दें तो भाव स्पष्ट हो जायेगा।
Comment by Shyam Narain Verma on July 13, 2016 at 3:52pm
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीय  । हार्दिक बधाई आपको    | सादर 
Comment by Samar kabeer on July 13, 2016 at 3:22pm
जनाब केवल प्रसाद जी वालेकुमस्लाम,में दोहा विधा का नया विद्यार्थी हूँ,इसलिये आपसे प्रश्न किया था,इस मार्गदर्शन के लिये आपका बहुत आभारी हूँ,धन्यवाद ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 13, 2016 at 7:41am

आ० समर साहब,  अस्सलामअलेकुम!  प्रणाम!  आपकी प्रसंशनीय प्रतिक्रिया पर हार्दिक आभार.  जहां तक आपके प्रश्न को मैं समझ रहा हूं...वहां तक आधे अक्षर की कोई स्वतंत्र गणना नही होती है....हा  यदि होती है तो आधा अक्षर जिस अक्षर से जुड़ा होता है, उसी के साथ या ठीक उसके एक अक्षर पूर्व के व्यंजन (अक्षर) के साथ और इनकी मात्रा कुछ यूं होती है...व्य व हा रि क = ११ २ १ १.......     म स्त = २ १........स्व र = १ १..........अ र्प ण = २ १ १  ...सं स्का र = २ २ १ ....व्यं ज न  = २ १ १  जी सर,  मेरे ख्याल से अब आप समझ गए होंगे....इस हेतु विस्तृत जानकारी हेतु ओ.बी.ओ. के ही हिंदी की कक्षा को भी देख या पढ़ सकते हैं...सादर

Comment by Samar kabeer on July 12, 2016 at 3:52pm
जनाब केवल प्रसाद जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
एक बात जानना चाहता हूँ कि दोहे में आधा अक्षर भी मात्रा गणना में शामिल कर सकते हैं क्या ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service