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ग़ज़ल - पूछ दबी तो रो देते हैं , अच्छे अच्छे -- ( गिरिराज भंडारी )

22   22   22   22   22   22 ( बहरे मीर )

हम तो रह गये देख के मंज़र, हक्के बक्के 

सारे मूछों वाले निकले ब्च्चे बच्चे

 

अजब न समझें, पूँछ दबी तो कुत्ता रोया

पूछ दबी तो रो देते हैं , अच्छे अच्छे

 

परिणामों की आशा चर्चा से मत करना

केवल बातों के निकलेंगे लच्छे लच्छे

 

हर दिमाग में छन्नी ऐसी लगी मिलेगी

सारे बाहर रह जाते हैं , सच्चे सच्चे

 

इक चावल का दाना देखो, कच्चा है गर

सारे चावल तुम्हें मिलेंगे , कच्चे कच्चे

 

हम कछुवे सा तरस रहे हैं,रन दो रन को

उनका है फरमान कि मारो छक्के छक्के

 

खून उबल कर गैरों पर जो बह आया था

जमे दिखे क्यूँ आज बताओ, थक्के थक्के

 

उसने भी तो हुक़्म उदूली की महफिल में

उसको भी तो कोई मारो धक्के वक्के

************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 3:31pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 14, 2016 at 2:07pm

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय गिरिराज जी,  दाद कुबूल करें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:34am

आदरणीय आशुतोष भाई , हौसला अफज़ाई और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:33am

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:32am

आदरनीय मनन भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 14, 2016 at 9:59am
आदरणीय 1भाईसाब यथार्थ का चित्रण करती ग़ज़ले तो रोज पढ़ने को मिल काती है पर इस रचना को पढ़ने में जो आनंद आया कमाल है ईद रचना के लिएहार्दिक बढ़ाई स्वीकार करें सादर बधाई के साथ
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 13, 2016 at 12:38pm

प्रिय गिरिराज

पूरी गजल में आज की सच्चाई है। हार्दिक बधाई

बच्चे बच्चे .... यहाँ दुहराव ठीक नहीं लगता, ... सारे मूछों वाले निकले अच्छे बच्चे

छक्के छक्के ठीक तो है पर ........ छक्के वक्के जादा सही लगता है । बोल चाल के हिसाब से बाकी दुहराव सही है

Comment by Manan Kumar singh on July 13, 2016 at 10:21am
क्या कहने आदरणीय गिरिराज भाई! अच्छी गजल के लिए बधाइयाँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2016 at 10:13am

आदरनीय विजय भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2016 at 10:13am

आदरणीया राजेश जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

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